चंडीगढ़ : अपने रसोइए के नाम पर खनन के लिए रेत की खड्ढे लेने समेत कई मामलों में विपक्ष के निशाने पर चल रहे बिजली एवं सिंचाई मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा कांग्रेस प्रधान राहुल गांधी ने राणा गुरजीत का नाम इस तरह से कारोबारों में आने से सरकार की हो रही किरकिरी के चलते लिया है।
मुख्यमंत्री ने इस्तीफा स्वीकार किया है या नहीं, इस बारे में अधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन खुद राणा गुरजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। अब इसे मंजूर करना चीफ मिनिस्टर कैप्टन अमरिंदर सिंह और राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि मैं और मेरे कर्मचारियों पर जब रेत की खड्डें लेने का आरोप लगा, तो मैंने अपना इस्तीफा कैप्टन अमरिंदर सिंह को सौंप दिया। इस बारे में इससे ज्यादा और कुछ नहीं कहना चाहता।
उधर, सूत्रों के अनुसार पार्टी प्रधान राहुल गांधी ने ही कैप्टन से राणा गुरजीत सिंह का इस्तीफा लेने को कहा है। सूत्रों के अनुसार कैप्टन ने इस्तीफा ले लिया है, लेकिन अभी इसे स्वीकार किए जाने की आधिकारिक पुष्टि नहीं की जा रही है।
यह है इस्तीफे की जड़
कुछ महीने पहले जब रेत की खदान की नीलामी हुई थी, तो नवांशहर से संबंधित कुछ खड्ढे राणा गुरजीत सिंह के सहयोगी कैप्टन जेएस रंधावा ने लीं। फ्रंट मैन के रूप में उनके रसोइए अमित बहादुर ने इन खड्डों की अग्रिम राशि का भुगतान किया था। इसके अलावा उनके दो और कर्मचारियों ने भी उनके नाम पर खड्डें लीं।
उनके अपने सिंचाई विभाग में 1000 करोड़ रुपये का घोटाला करने का आरोप झेल रहे गुरिंदर सिंह ठेकेदार से उनके रसोइए अमित बहादुर की कंपनी राजबीर एंटरप्राइसिस की ओर से पांच करोड़ रुपये लेने का मामला भी सामने आया। उनके बेटे भी इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस में सम्मन किया हुआ है।
विपक्ष ने बनाया था मुद्दा
विभिन्न आरोपों को लेकर वह पिछले कई महीनों से विपक्ष के निशाने पर आ गए थे। खासतौर पर विपक्ष के नेता व आप विधायक सुखपाल सिंह खैहरा ने राणा गुरजीत और उनकी कंपनियों की रेत की खड्डों में नीलामी को लिंक करने के कई सबूत भी मीडिया में उजागर किए।