नई दिल्ली : इनकम टैक्स फाइल करते वक्त आपको अपने बचत और खर्चों की पूरी जानकारी देनी होती है, जिससे आपको जरुरी टैक्स छूट मिलती है। टैक्स डिडक्शन की श्रेणी में आने वाले ज्यादातर खर्चे आयकर की धारा 80 सी के तहत आते हैं। इसके अलावा भी कुछ ऐसे खर्चे होते हैं जो आयकर की इस दायरे में नहीं बल्कि अन्य धाराओं के तहत आते हैं। अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको ऐसे ही कुछ खर्चों के बारे में बताएंगे जो इनकम टैक्स बचाने में आपकी मदद कर सकती है।
एजुकेशन लोन से मिलेगी ये छूट-
अगर आपने अपने लिए, पत्नी या बच्चे के लिए एजुकेशन लोन लिया हुआ है या फिर आप किसी ऐसे स्टूडेंट के कानूनी रूप से अभिभावक हैं, तो सेक्शन 80ई के तहत लोन के लिए भुगतान की गई ब्याज राशि पर क्लेम कर सकते हैं। किसी भी वित्त वर्ष में भुगतान की गई कुल ब्याज राशि बिना किसी लिमिट के इस कटौती के लिए वैध है।
ट्यूशन फीस भी टैक्स छूट के दायरे में-
स्कूल की ट्यूशन फीस भी सेक्शन 80सी के टैक्स बेनिफिट्स के दायरे में आती है। टैक्स बेनिफिट की राशि डेढ लाख रुपये प्रति वर्ष की कुल सीमा के भीतर रहेगी।
मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम से होगा ये फायदा-
सेक्शन 80डी के तहत मेडिकल इंश्योरेंस के लिए भुगतान की गई प्रीमियम राशि कटौती के लिए योग्य होती है। इस सेक्शन के तहत क्लेम की जाने वाली अधिकतम राशि 60,000 रुपये है। लेकिन इसमें कई उप सीमाएं भी शामिल हैं। कोई भी व्यक्ति 25000 रुपये की प्रीमियम राशि पर अधिकतम कटौती क्लेम कर सकता है, जो उसने खुद के लिए, पत्नी या आश्रित बच्चों के लिए दी है। साथ ही 25000 रुपये की अतिरिक्त कटौती भी वैध होती है अगर प्रीमियम माता-पिता के लिए भुगतान किया गया है। अगर पॉलिसी धारक वरिष्ठ नागरिक है तो कटौती की लिमिट 30,000 रुपये होती है।
होम लोन भी टैक्स छूट में करेगा मदद-
सेक्शन 80सी के तहत होम लोन रिपेमेंट की प्रिंसिपल राशि पर कर कटौती उपलब्ध है। इस सेक्शन के अंतर्गत लागू कटौती में यह बात मायने नहीं रखती है कि आपने किस साल में भुगतान किया है। स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस की राशि भी इस सेक्शन के अंतर्गत कटौती योग्य होती है।
होम लोन के ब्याज भुगतान पर टैक्स ब्रेक की सुविधा आयकर की धारा 24 के अंतर्गत दी जाती है। सेल्फ ऑक्युपाइड प्रॉपर्टी पर अधिकतम टैक्स डिडक्शन की सीमा 2 लाख रुपए निर्धारित है।
फर्स्ट टाइम बायर्स के लिए होम लोन की ब्याज राशि पर सेक्सन 80ईई के तहत 50,000 रुपये की अतिरिक्त कटौती का प्रावधान है। इस स्थिति में लोन राशि 35 लाख रुपये से कम और घर की कीमत 50 लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
सेविंग एकाउंट पर ब्याज-
सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाला ब्याज सेक्शन 80टीटीए के तहत कटौती के लिए योग्य है। क्लेम की जाने वाली अधिकतम राशि 10,000 रुपये है। इसका मतलब यह नहीं है कि 10,000 रुपये तक का ब्याज आयकर के दायरे से बाहर है।