नई दिल्ली : बिहार के नेता राजेश रंजन (पप्पू यादव) के बेटे सार्थक रंजन का चयन दिल्ली की टी20 टीम में हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सार्थक ने एक भी मैच खेले बिना टीम में जगह बनाई, जबकि टॉप स्कोरर रहे हितेंन दलाल को अंडर 23 में रिजर्व में रखा गया। पप्पू यादव राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व नेता हैं और मधेपुरा से सांसद हैं। पप्पू यादव ने खुद की पार्टी बना ली थी जिसका नाम ‘जन अधिकार पार्टी’ है। उनकी पत्नी रंजीत रंजन सुपौल से कांग्रेस की सांसद हैं।
चयन समिति के तीन सदस्यों अतुल वासन, हरि गिडवानी और रोबिन सिंह जूनियर पर प्रतिभाओं को नजरअंदाज कर रसूखदार लोगों के बेटों को टीम में जगह देने के आरोप लगे हैं। कहा जा रहा है कि इनके द्वारा चयनित लड़कों का प्रदर्शन बिल्कुल भी ठीक नहीं रहा है। पप्पू यादव के बेटे ने मुस्ताक अली कैंपेन के दौरान तीन मैचों में महज 10 रन ही बनाए थे। जिनमें सार्थक ने एक मैच में 5, दूसरे में 3 और तीसरे में 2 रन बनाए थे।
सीजन की शुरुआत में सार्थक ने रणजी ट्रॉफी की संभावित लिस्ट से खुद को खींच लिया था। ऐसी भी खबरें आ रही थीं कि खेल से सार्थक का मोहभंग हो गया था और वह मिस्टर इंडिया बनने के लिए बॉडी बिल्डिंग पर ध्यान दे रहे थे। अचानक सीजन के आखिर में सार्थक की मां रंजीत रंजन ने डीडीसीए के एडमिनिस्ट्रेटर रिटायर्ड जस्टिस विक्रमजीत सेन को ईमेल में लिखा कि उनका बेटा अवसाद से गुजर रहा था और खेलने के लिए फिट नहीं था।
प्रोटोकॉल के हिसाब से जस्टिस सेन ने पत्र चयनकर्ताओं को भेजा क्योंकि यह उनका मामला था। अचानक, बिना कोई मैच खेले सार्थक को सीके नायडू ट्रॉफी खेलने वाली दिल्ली अंडर-23 टीम में स्टेंडबाई पर रखा गया। जब वासन से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा- सार्थक मानसिक तौर पर अस्वस्थ्य चल रह थे। जब फिट लगे तो मैंने व्यक्तिगत तौर पर उन पर नजर रखी और उन्हें दिल्ली की अंडर-23 में रखा।
टॉप स्कोरर रहे हितेन दलाल को स्टेंडबाई में रखने पर लोगों में नाराजगी रही। हितेन ने सीके नायडू ट्रॉफी में शानदार 468 रन बनाए थे। जिसमें एक शतक, तीन अर्धशतक शामिल थे। हितेन ने 52 के औसत से रन बनाए थे और उनका स्ट्राइक रेट 91.58 रहा था। उन्होंने 17 छक्के भी जड़े थे।
डीडीसीए के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि हितेन जैसे लड़कों को आप कहा रखेंगे जिनके मां-बाप राजनीति में नहीं हैं, जो खिलाड़ी एक भी मैच नहीं खेलता है, एक पत्र के दम पर उसे टीम में जगह दे दी जाती है।