नई दिल्ली : भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) अपने ग्राहकों को बड़ी राहत दे सकता है। बैंक मिनिमम बैलेंस की बाध्यता की समीक्षा कर रहा है। केंद्र सरकार के दबाव के बाद एसबीआई इस दिशा में कदम उठाने की तैयारी में है। मौजूदा प्रावधान के तहत शहरी क्षेत्र के खाताधारकों के लिए अपने अकाउंट में 3,000 रुपये रखना अनिवार्य है। ऐसा न होने पर पेनाल्टी ली जाती है।
यह रिपोर्ट ऐसे समय सामने आई है, जब एसबीआई ने हाल में ही मिनिमम बैलेंस न होने के कारण अप्रैल से नवंबर के बीच 1,770 करोड़ रुपये की पेनाल्टी वसूलने की जानकारी दी थी। एसबीआई मंथली एवरेज बैलेंस की जगह पर क्वार्टरली एवरेज बैलेंस की व्यवस्था भी करने की तैयारी में है। इसमें बदलाव से उन ग्राहकों को फायदा होने की उम्मीद है, जिनके खाते में बैलेंस कभी बहुत ज्यादा तो कभी कम रहता है।
एसबीआई ने पिछले साल महानगर, छोटे शहर और ग्रामीण क्षेत्र के ग्राहकों के लिए खातों में मिनिमम बैलेंस रखना अनिवार्य किया था। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, महानगरों में मिनिमम बैलेंस की मौजूदा सीमा तीन हजार रुपये को कम कर एक हजार रुपये तक करने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, इसको लेकर अभी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
एसबीआई ने जून 2016 में मिनिमम बैलेंस के तौर पर खाते में पांच हजार रुपये रखना अनिवार्य कर दिया था। फैसले की कड़ी आलोचना के बाद महानगरों में इस सीमा को तीन हजार रुपये कर दिया गया था। छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए इसे क्रमश: दो और एक हजार रुपये किया गया था। बैंक ने नाबालिगों और पेंशनरों के लिए इस बाध्यता को समाप्त कर दी थी। इसके अलावा पेनाल्टी को भी 25 से 100 रु से कम कर 20 से 50 रुपये के रेंज में कर दिया गया था।
बैंक अधिकारियों ने इस दिशा में किसी तरह के फैसले से इनकार किया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि इस बदलाव के बाद बैंक पर पड़ने वाले असर पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। मिनिमम बैलेंस के मामले में सरकारी बैंकों में एसबीआई की सीमा (3,000) सबसे ज्यादा है। देश के प्रमुख निजी बैंकों में 10,000 रुपये का मिनिमम बैलेंस अनिवार्य है।
एसबीआई देश का सबसे बड़ा बैंक है। ऐसे में एसबीआई द्वारा मिनिमम बैलेंस की सीमा कम करने से देश के करोड़ों लोग लाभान्वित होंगे। एसबीआई ने ऑपरेटिंग कॉस्ट बढ़ने की दलील देते हुए मिनिमम बैलेंस की सीमा बढ़ाने का फैसला लिया था।