वाशिंगटनः अमरीका के कुछ सांसदों और लॉबिंग समूहों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच-1बी वीजा नियमों में बदलाव किए जाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि वीजा के विस्तार संबंधी नियमों को कड़ा करने से लगभग पांच से साढ़े सात लाख भारतीय अमरीकियों को स्व-निर्वासन की राह देखनी होगी जिससे अमरीका को प्रतिभाओं की कमी का भी सामना करना होगा।
रिपोर्टों के अनुसार एच-1बी वीजा नियमों में प्रस्तावित बदलाव ट्रंप की ‘बाय अमरीकन, हायर अमरीकन’ (अमरीकी खरीदो, अमरीकी को काम दो) पहल का ही हिस्सा है। इसका एक मसौदा आंतरिक सुरक्षा विभाग ने तैयार किया है। यह पहल ट्रंप के चुनाव अभियान का अहम हिस्सा थी। उल्लेखनीय है कि एच-1बी कार्यक्रम अमरीकी कंपनियों को उच्च योग्यता वाले विदेशी पेशवरों को नियुक्त करने की सुविधा देता है, खासकर के उन क्षेत्रों में जहां योग्य अमेरिकी पेशेवरों का अभाव है। लेकिन पिछले साल जनवरी में कार्यभार संभाले जाने के बाद से ट्रंप सरकार इस योजना के लाभों को कम करने में लगी है।
डेमोक्रेट सांसद तुलसी गबार्ड ने कहा, ‘‘एच-1बी वीजाधारकों पर इन नियमों को लागू करने से परिवार बंट जाएंगे, हमारे समाज से प्रतिभा एवं विशेषज्ञता का निष्कासन हो जाएगा और यह एक प्रमुख सहयोगी भारत के साथ संबंधों को खराब करेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस प्रस्ताव से करीब 5,00,000 से 7,50,000 भारतीय एच-1बी वीजाधारकों को स्व-निर्वासन का रास्ता अख्तियार करना पड़ सकता है। इनमें से कई छोटे कारोबारों के मालिक हैं या रोजगार देने वाले हैं। ये लोग हमारी अमरीकी अर्थव्यवस्था को बनाने और मजबूत करने में मदद कर रहे हैं। प्रतिभा का इस तरह पलायन हमारी नवोन्मेष की क्षमता को कम करेगा और 21वीं सदी की वैश्विक अर्थव्यवस्था में हमारी प्रतिस्पर्धा को भी कम करेगा।’’