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संसद अनिश्‍चितकाल के लिए स्‍थगित, लटक गया ‘तीन तलाक बिल’

नई दिल्ली : तीन तलाक बिल फिलहाल सियासत की भेंट चढ़ गया। भारी हंगामे के बीच लोकसभा और राज्‍यसभा की कार्रवाई अनिश्‍चितकाल के लिए स्‍थगित हो गई। आज चालू सत्र का आखिरी दिन था। मगर विपक्ष अपनी मांग पर अड़े रहे और सरकार पीछे हटने के मूड में नहीं दिखी। ऐसे में यह बिल फिलहाल के लिए अटक गया।

पहले से ही आज संसद के दोनों सदनों में भारी हंगामे के आसार और तीन तलाक बिल के लटकने की आशंका थी। विपक्ष ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली थी। खास तौर से कांग्रेस ने जिसने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर राज्‍यसभा में मौजूद रहने के निर्देश दे दिए थे। लोकसभा में तो विपक्ष ने इसका समर्थन कर आसानी से पास करा दिया। मगर जिन खामियों पर आपत्ति जताई, उसमें बदलाव की मांग को लेकर राज्‍यसभा में इस बिल की राह में रोड़ा बनकर खड़ा हो गया।

राज्‍यसभा में अल्‍पमत में सरकार है, इस कारण बहुमत के लिए विपक्ष का साथ बेहद जरूरी था और ऐसे में कांग्रेस भला इतना सुनहरा मौका भुनाने से कहां चूकने वाली थी। लोकसभा की कार्यवाही अनिश्चितकालीन समय के लिए स्‍थगित हो गई।

इसलिए प्रवर समिति में बिल भेजने पर आपत्ति 

राज्यसभा में नेता सदन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तत्काल तीन तलाक बिल को प्रवर समिति के पास भेजने की मांग को इसे लटकाने का प्रयास करार दिया। उनका कहना था कि विपक्ष ने प्रवर समिति के लिए जिन सांसदों को आगे किया है, वे वास्तव में इस बिल को खत्म करना चाहते हैं। इतना ही नहीं प्रवर समिति के लिए विपक्ष का संशोधन 24 घंटे पहले नहीं आया। नियम के हिसाब से यह वैध नहीं है।

राज्यसभा में यह मसला दूसरे दिन तब आया, जब अर्थव्यवस्था पर अल्पकालिक चर्चा के बाद जीएसटी बिल पर बहस शुरू हो रही थी। सपा के नरेश अग्रवाल समेत विपक्ष के तमाम सदस्यों ने उपसभापति पीजे कुरियन से विपक्ष के दोनों वैध संशोधनों पर मतविभाजन की मांग पर फैसला देने को कहा। विपक्ष का कहना था कि पहले इस मुद्दे का निपटारा हो, तब जीएसटी बिल लिया जाए। सरकार ने गुरवार को एजेंडे में तत्काल तीन तलाक को जीएसटी के बाद रखा था।

प्रवर समिति में भेजे जाने का क्या होगा असर

– प्रवर समिति में भी विपक्ष हावी रहेगा। संशोधनों पर जोर देगा।
– यदि राज्यसभा ने संशोधनों को मंजूर किया तो बिल को फिर से लोकसभा भेजना होगा।
– इस तरह बिल पास होने की प्रक्रिया लंबी खिंच सकती है।
– सुप्रीम कोर्ट की सलाह के मुताबिक 22 फरवरी तक कानून बनना चाहिए।

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