नई दिल्ली : मोदी सरकार ने तीन तलाक को जुर्म घोषित कर इसके लिए सजा मुकर्रर करने संबंधी विधेयक को राज्यसभा में पेश किया है, लेकिन लोकसभा की तर्ज पर इसे उच्च सदन राज्यसभा में पास कराना आसान नहीं लग रहा है। केंद्र सरकार राज्यसभा में एक बार फिर आज तीन तलाक बिल को पास कराने की कोशिश करेगी। हालांकि इसमें सफलता मिलने की उम्मीद बहुत कम है। राज्यसभा में मोदी सरकार के पास पर्याप्त संख्या नहीं है और विपक्ष अपने इस रुख पर कायम है। इसके अलावा बीजेपी के कई सहयोगी दलों की राह जुदा है। विपक्ष के साथ-साथ सहयोगी दल भी चाहते हैं कि इस बिल में तमाम खामियां हैं और उसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए।
बता दें कि मोदी सरकार ने पिछले सप्ताह तीन तलाक विरोधी बिल ‘द मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स इन मैरिज एक्ट’ को लोकसभा में पेश किया था। कुछ विपक्षी दलों के विरोध के बावजूद ये बिल बिना किसी संशोधन के पास हो गया थ, लेकिन राज्यसभा में मुश्किलें नजर आ रही हैं।
तीन तलाक विधेयक को सेलेक्ट कमेटी को भेजने के लिए राज्यसभा में कांग्रेस सहित सभी विपक्ष एकजुट नजर आए तो वहीं सत्ताधारी एनडीए में फूट नजर आई। मोदी सरकार के हर काम में साथ खड़ी नजर आने वाली AIADMK, शिवसेना और टीडीपी तीन तलाक बिल में संशोधन चाहती हैं। इतना ही नहीं विधेयक को संसदीय समिति को भेजने वालों में कांग्रेस की तरफ प्रस्तावित सदस्यों के नाम में टीडीपी का नाम है।
एनडीए की सहयोगी दल भी ट्रिपल तलाक के मसले पर सरकार का साथ नहीं हैं। कांग्रेस, एसपी, टीएमसी, डीएमके, एनसीपी, सीपीआई और सीपीएम सहित अन्य पार्टियों के अलावा टीडीपी ने भी इस बिल पर आपत्तियों के खिलाफ विपक्षी एकता का साथ दिया। विपक्ष ने दावा किया कि विधेयक में खामियां है और इसे सिलेक्ट कमिटी में इस विधेयक पर व्यापक चर्चा होगी।
245 सदस्यीय राज्यसभा में निर्दलीय और मनोनीत सदस्यों को छोड़कर 28 राजनीतिक पार्टियां हैं, जिनके सदस्य हैं। मौजूदा समय में राज्यसभा में बीजेपी के पास 57 सदस्य, कांग्रेस के पास 57, टीएमसी के 12, बीजेडी के 8, बीएसपी के 5, सपा के 18, AIADMK के 13, सीपीएम के 7, सीपीआई के 1, डीएमके के 4, एनसीपी के 5, पीडीपी के 2, इनोलो के 1, शिवसेना के 3, तेलुगुदेशम पार्टी के 6, टीआरएस के 3, वाईएसआर के 1, अकाली दल के 3, आरजेडी के 3, आरपीआई के 1, जनता दल(एस) के 1, मुस्लिम लीग के 1, केरला कांग्रेस के 1, नागा पीपुल्स फ्रंट के 1, बीपीएफ के 1 और एसडीएफ के 1 सदस्य हैं। इसके अलावा 8 मनोनीत और 6 निर्दलीय सदस्य हैं।
मौजूदा समय में राज्यसभा में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए के 88 सदस्य हो रहे हैं। इनमें बीजेपी के 57 सदस्य भी शामिल हैं। मोदी सरकार को अपने सभी सहयोगी दलों का साथ मिल जाता है, तो भी बिल को पारित कराने के लिए कम से कम 35 और सांसदों के समर्थन की जरूरत होगी। टीडीपी, AIADMK और शिवसेना जैसे दल इस विधेयक को लेकर सरकार से संतुष्ट नहीं है। ये विपक्ष के साथ खड़े हैं। ऐसे में मोदी सरकार को राज्यसभा में तीन तलाक बिल को पास कराना टेढ़ी खीर है।