नई दिल्ली : सरकार ने संसद में तीन तलाक़ बिल पेश कर दिया है। लोकसभा में क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हंगामे के बीच गुरुवार को इसे पेश किया।
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद जयप्रकाश यादव ने कहा कि “इस मसले पर मुस्लिम पर्सनल बोर्ड से मशविरा और सहमति की कोशिश की जानी चाहिए। पति जेल में, पत्नी घर में, बच्चों की परवरिश कौन करेगा। सकारात्मक पहल होना चाहिए।”
हैदराबाद से एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “संसद को इस मसले पर क़ानून बनाने का कोई क़ानूनी हक नहीं है क्योंकि ये विधेयक मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। ये संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही तलाक-ए-बिद्दत को रद्द कर दिया है।”
“देश में पहले से क़ानून हैं, घरेलू हिंसा निवारण अधिनियम है, आईपीसी है। आप वैसे ही काम को फिर से अपराध घोषित नहीं कर सकते। इस बिल में विरोधाभास हैं। ये बिल कहता है कि जब पति को जेल भेज दिया जाएगा, तब भी सहवास का अधिकार बना रहेगा। उसे भत्ता देना होगा।”
“ये कैसे संभव है कि जो आदमी जेल में हो और भत्ता भी अदा करे। आप कैसा क़ानून बना रहे हैं। मंत्री जी ने शुरुआत में ही कहा कि बिल पर मशविरा नहीं किया गया है। अगर ये बिल पास हो जाता है तो मुस्लिम महिलाओं के साथ नाइंसाफ़ी होगी। लोग अपनी पत्नियों को छोड़ देंगे।”
“देश में 20 लाख ऐसी महिलाएं हैं, जिन्हें उनके पतियों ने छोड़ दिया है और वो मुसलमान नहीं हैं। उनके लिए क़ानून बनाए जाने की ज़रूरत है। इनमें गुजरात में हमारी भाभी भी है, उन्हें इंसाफ़ दिलाए जाने की ज़रूरत है। ये सरकार ऐसा नहीं कर रही है।”
केरल से मुस्लिम लीग के सांसद मोहम्मद बशीर ने कहा, ये विधेयक संविधान के अनुच्छद 25 का उल्लंघन है। ये विधेयक पर्सनल लॉ में अतिक्रमण करता है।
बीजू जनता दल के सासंद भृतहरि महताब ने कहा, इस बिल में कमियां हैं। इस बिल में कई विरोधाभास हैं।