नई दिल्ली : नये वर्ष में किसानों को खाद की सब्सिडी अब सीधे उनके खाते में जमा होगी। सभी राज्यों में इसकी तैयारियां अंतिम चरण में हैं। केंद्र सरकार पिछले सालभर से राज्यों के सहयोग से इसे पूरा करने की कवायद में जुटी है। उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत सभी खाद्यान्न उत्पादक राज्यों में इसे लागू करने के लिए पहले ही टाइम टेबल जारी कर दिया गया था।
फर्टिलाइजर पर किसानों को मिलने वाली सब्सिडी में चोरी को लेकर लगातार सवाल खड़े होते रहे हैं। इससे निपटने के लिए सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग का फैसला लेते हुए पहले चरण में 14 राज्यों के 17 जिलों में इसे लागू किया था। उसके उत्साहजनक नतीजों के मद्देनजर सरकार अब पूरे देश में इसे लागू करने का फैसला किया है। विभिन्न राज्यों में यह व्यवस्था लागू करने के लिए किसानों के बैंक खाते, उनकी जमीन का ब्यौरा और उनके आधार से जोड़ने का काम पूरा हो चुका है।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक समूचे देश में इसे व्यापकता से लागू करने के लिए राज्यों के सहयोग से प्वाइंट आफ सेल (पॉस) मशीनें लगाई जाने लगी हैं। इन मशीनों को फर्टिलाइजर (खाद) की दुकानों पर लगाने का काम संबंधित फर्टिलाइजर कंपनियां कर रही हैं। देश में खाद बेचने वाली दुकानों पर कुल ढाई लाख पॉस मशीनों की जरुरत है। इसमें से अब तक कुल लगभग डेढ़ लाख दुकानों पर मशीनें लगाई जा चुकी हैं। विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में एक सितंबर 2017 से इस दिशा में डीबीटी योजना चालू कर दी गई है। फर्टिलाइजर मंत्रालय ने इस योजना को प्रारंभ करने के लिए हर राज्य को उसकी सुविधा के अनुसार तिथि का निर्धारण कर दिया है।
डीबीटी की शुरुआत दिल्ली प्रदेश में एक सितंबर 2017 को चालू कर दी गई थी, जबकि मिजोरम, दमन व दीव, दादरा नगर हवेली, मणिपुर, नागालैंड, गोवा व पुडुचेरी में यह योजना एक अक्तूबर को प्रारंभ हो गई। राजस्थान, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, अंडमान व निकोबार, असम और त्रिपुरा में योजना को एक नवंबर से शुरु किया गया है।
देश की खाद्य सुरक्षा में अहम भूमिका निभाने वाली राज्य आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में खाद की सब्सिडी सीधे खाते में जमा कराने की योजना एक दिसंबर 2017 को चालू हो गई है। जबकि गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और तमिलनाडु में एक जनवरी 2018 को यह योजना शुरु की जाएगी। इसी तरह गुजरात व हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने की वजह से यहां तैयारियां हो जाने के बावजूद इसे एक जनवरी से शुरु किया जाएगा।