वॉशिंगटन : संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया के मिसाइल परीक्षणों के जवाब में उस पर बेहद सख़्त प्रतिबंधों को मंज़ूरी दे दी है। नए प्रतिबंधों के तहत उत्तर कोरिया का पेट्रोलियम आयात 90 प्रतिशत तक घट जाएगा। अमरीका के तैयार किए गए प्रस्ताव के पक्ष में उत्तर कोरिया के मुख्य व्यापारिक सहयोगी देशों चीन और रूस ने भी मतदान किया। उत्तर कोरिया पर पहले से ही अमरीका, यूरोपीय संघ और संयुक्त राष्ट्र के कई और प्रतिबंध प्रभावी हैं।
अमरीका 2008 से ही उत्तर कोरिया पर नागरिकों और कंपनियों की संपत्तियां ज़ब्त करने, चीज़ों और सेवाओं के निर्यात पर रोक जैसे कई तरह के प्रतिबंध लगाता रहा है। ताजा प्रतिबंधों के पारित होने के बाद संयुक्त राष्ट्र में अमरीकी दूत निकी हेली ने कहा है कि इनसे उत्तर कोरिया को स्पष्ट संदेश दिया गया है कि अगर वो आगे भी नहीं माना तो उसे और दंडित और अलग-थलग किया जाएगा।
निकी हेली ने कहा, “पहले लगाए गए प्रतिबंधों में उत्तर कोरिया के लिए पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में 55 फ़ीसदी की कटौती की गई थी। आज हमने इस कटौती को और बढ़ा दिया है।”
उन्होंने आगे कहा, “उत्तर कोरिया के सितंबर में किए गए मिसाइल लॉन्च के बाद इस परिषद ने पेट्रोलियम पदार्थों को उत्तर कोरिया जाने दिया था, लेकिन आज के प्रस्ताव के बाद से किम शासन के पेट्रोल, डीज़ल और अन्य पेट्रोलियम उत्पादों के आयात को 89 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है। यदि इसके बावजूद भी उत्तर कोरिया बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट या परमाणु टेस्ट करता है तो आज का प्रस्ताव सुरक्षा परिषद को और सख़्त कार्रवाई करने के लिए अधिकृत करता है।”
ये पहली बार नहीं है जब उत्तर कोरिया पर प्रतिबंध लगाए गए हैं या उसे धमकी दी गई है। इसी साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र में बोलते हुए अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन को ‘रॉकेटमैन’ कहते हुए बेहद सख़्त अंदाज़ में धमकी दी थी। लेकिन ट्रंप की इस धमकी का उत्तर कोरिया पर कोई असर नहीं हुआ था। नवंबर में उत्तर कोरिया ने ह्वासोंग-15 मिसाइल दाग दी थी। ये उत्तर कोरिया की सबसे लंबी दूरी की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल थी।