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यहाँ खाता भी नहीं खोल पाये ‘मास्टर ब्लास्टर’, इस वजह से खड़े रह गए 

नयी दिल्ली : क्रिकेट की रन मशीन सचिन तेंदुलकर को संसद में अपने भाषणों की पारी शुरू करने के लिये अभी और इंतजार करना पड़ेगा। राज्यसभा सदस्य और भारत रत्न सचिन तेंदुलकर उच्च सदन में पहली बार बोलने के लिये अपनी बारी का इंतजार करते रहे लेकिन सदन में कांग्रेस सदस्यों के जबरदस्त हंगामे के कारण वह भाषणों का खाता नहीं खोल पाये।

सचिन संसद में अपने भाषण की पारी शुरू कर सकें, इसके लिये राज्यसभा के सभापति एम वैंकेया नायडू ने उनका उत्साहवर्धन करते हुये नारेबाजी कर रहे कांग्रेस सदस्यों को शांत करने की भरपूर कोशिश की लेकिन भारत में खेल का अधिकार और खेल-कूद के भविष्य पर अल्पकालिक चर्चा में बोलने के लिये सचिन की कोशिशें नाकाम रहीं। सचिन अपने छह साल के कार्यकाल में पांच साल बीतने के बाद अब तक एक भी बार नहीं बोल पाये हैं।

अप्रैल 2012 में राज्यसभा सदस्य के रुप में मनोनीत सचिन का कार्यकाल 26 अप्रैल 2018 को खत्म हो रहा है। राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर दो बजे शुरू होने से पहले ही सचिन सदन में पहली बार बोलने के लिये पूरी तैयारी के साथ पहुंच गये थे। इस दौरान सपा सदस्य जया बच्चन, तृणमूल कांग्रेस सदस्य डेरेक ओब्रायन और सत्ता पक्ष के कई सदस्य सचिन को सदन में हंगामे की आशंका के प्रति आगाह करते हुये उनकी हौसला आफजाई करते नजर आये।

सदन की कार्यवाही शुरू होने पर नायडू ने सदस्यों से सचिन को बोलने देने का अनुरोध करते हुये कहा कि वह सदन में पहली बार बोलने के लिये खड़े हुये हैं और सभी सदस्यों को देश में खेल के विकास पर उनके विचार सुनने चाहिये। बार-बार के अनुरोध का असर नहीं होते देख नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों को आगाह भी किया कि हंगामे का टेलीविजन पर प्रसारण न किया जाये ना ही उनकी नारेबाजी को सदन की कार्यवाही में शामिल किया जाये।

हंगामे के बीच लगभग दस मिनट तक सचिन अपनी जगह पर चुपचाप खड़े रहकर सदन में शोरगुल बंद होने का इंतजार करते रहे, लेकिन नारेबाजी कर रहे सदस्यों के शांत नहीं होने पर नायडू को सदन की कार्यवाही दिन भर के लिये स्थगित करनी पड़ी। सदन की कार्यवाही स्थगित होते ही कई सदस्यों ने सचिन के पास आकर उन्हें दिलासा दी। इनमें युवा एवं खेल मामलों के मंत्री राज्यवर्धन राठौर और संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल भी शामिल थे।

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