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राष्ट्रपति बोले- नौकरी नहीं, खुद के कारोबार की सोचें युवा, वाट्सएप के संस्थापक का दिए उदाहरण

लखनऊ : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि युवाओं को नौकरी के बजाय खुद अपने कारोबार पर जोर देना चाहिए। नौकरी में सीमा तय कर दी जाती है, जबकि निजी कारोबार में व्यक्ति प्रतिभा के अनुरूप कितना भी विकास कर सकता है। राष्ट्रपति शुक्रवार को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्व विद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। वाट्सएप के संस्थापक ब्रायन एक्टन का उदाहरण देते हुए कोविंद ने कहा कि उन्हें जिस फेसबुक ने नौकरी नहीं दी, उसी ने ऊंची कीमत पर उनका वाट्सएप खरीदा।

राष्ट्रपति ने कहा कि अंबेडकर विश्व विद्यालय ने सामाजिक सरोकारों से जुड़े कई कदम उठाए हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का एक सेल बनाने का भी आग्रह किया, इस सेल के जरिए विश्वविद्यालय के छात्र पूर्व छात्रों का अनुभव साझा कर सकेंगे और उनका समर्थन हासिल कर सकेंगे। राष्ट्रपति ने छात्रों से समता और न्याय पर आधारित समाज के निर्माण में योगदान का आह्वाहन किया और कहा कि जब देश विकसित होगा, सबका विकास होगा।

लखनऊ की तहजीब की तारीफ करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इसमें सभी को आदर देने की भावना निहित है। उन्होंने कहा कि आज बेटियां तरक्की की राह पर आगे हैं। उन्होंने छात्राओं की सराहना करते हुए कहा कि बाबा साहब समानता की बात करते थे। लेकिन हमारी बेटियां बाबा साहेब के सपनों से भी आगे निकल चुकी हैं। आज बेटियां हर क्षेत्र में बढ़चढ़ कर योगदान कर रही हैं। उन्होंने कहा कि लखनऊ से बाबा साहब अंबेडकर का खास रिश्ता रहा है। उन्हें दीक्षा देने वाले भदंत प्रज्ञानंद जी यहीं के थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि लखनऊ ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुना। उन्होंने पुण्यतिथि पर सरदार वल्लभ भाई पटेल का भी स्मरण किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि इस विवि के साथ उनका बड़ा पुराना संबंध है। जब वे राज्यसभा के सदस्य थे, इस विवि की प्रबंध समिति में भी सदस्य हुआ करते थे। कार्यक्रम में प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि आज के कड़ी स्पर्धा के युग में युवा को मेहनत करने की आवश्यकता है। चरेवेति- चरेवेति का मंत्र देते हुए श्री राम नाईक ने छात्रों से कहा कि वे असफलता पर निराश न हों बल्कि अपना परीक्षण करें और आगे बढ़ें। उन्होने कहा कि किसी भी छात्र के जीवन में दीक्षांत समारोह का विशेष महत्व होता है। यह वह पड़ाव है, जहां किताब की पढ़ाई समाप्त हो जाती है और जीवन की लड़ाई शुरू होती है।

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