पटना : लाख कोशिश के बाद भी बिहार में परिवहन निगम की स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है। वो घाटे से उबड़ नहीं पा रही है। वैसी स्थिति में राज्य सरकार झारखंड सरकार के तर्ज पर ही बिहार में भी राज्य पथ परिवहन निगम को बंद करने की योजना बना रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक झारखंड सरकार अपने यहां किस परिस्थिति में और कैसे झारखंड परिवहन निगम को बंद करने में सफल हुई इन तमाम तथ्यों की जानकारी इकठ्ठा करने जल्दी ही पांच सदस्यों की एक टीम झारखंड जायेगी। झारखंड परिवहन निगम के पास कुल 198 बस थी।
विभाजन के बाद झारखंड परिवहन निगम की स्थिति बिहार से भी ख़राब थी। सरकार के बहुत कोशिशों के बावजूद जब इसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया और स्थिति पूर्ववत बनी रही तो उसने निगम कर्मचारियों को वेतन मद की कुल राशि 94 करोड़ रुपया देकर इस निगम को ही बंद कर दिया। अब बिहार में भी सरकार उसी तर्ज पर इसे बंद करने की योजना पर गंभीरता से विचार कर रही है।
हाल के दिनों में बिहार राज्य पथ परिवहन निगम ने अपन को अपडेट करने की नीयत से सरकार से 472 करोड़ रुपये की राशि मांगी है। बिहार राज्य पथ परिवहन निगम में फ़िलहाल 356 बसें है और उनकी औसत आय 6.91 रुपये प्रति किलोमीटर है जबकि ये 11. 80 किलोमीटर होना चाहिए था। इसके पहले इस निगम को पुनर्जीवित करने के लिए राज्य सरकार ने 14 -7 -2011 को 121.34 करोड़ रुपये दिए थे। पुनः 10 -2 -2016 को 318. 24 करोड़ की राशि भी दी थी, लेकिन निगम की स्थिति में कोई सुधार अब तक नहीं हुआ। ये तो प्रकाश पर्व को लेकर खींच रहा है वरना सरकारी फैसला इस पर अब तक आ गया होता। चूंकि सिक्खों का महान पर्व प्रकाशोत्सव होने वाला है और उसमें कई देशी-विदेशी मशहूर हस्तियों के शिरकत करने की संभावना है। लिहाजा सरकार ने अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए निगम की 356 बसें मुहैय्या कराई है, लेकिन अफसोस निगम इन बसों का रख-रखाव भी ठीक से नहीं कर पा रही है।