नई दिल्ली : आज से 16 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को ही भारतीय संसद पर आतंकवाद का ऐसा कलंक लगा था, जो आज तक नहीं धुल पाया। संसद पर आतंकी हमले की 16वीं बरसी के मौके पर आज पीएम नरेंद्र मोदी ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
आज से 16 साल पहले आतंकियों ने देश की गरिमा और प्रतिष्ठा पर घात लगाकर हमला किया था। इस आतंकी हमले को भारतीय इतिहास में बड़े आतंकी हमलों में गिना जाता है। लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद के 5 हथियारबंद आतंकियों ने संसद की सुरक्षा में सेंध लगाकर भारतीय लोकतंत्र के मंदिर कहे जाने वाले संसद भवन पर हमला बोल दिया था। संसद हमले की 16वीं बरसी पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मृतकों और शहीदों को याद किया और उनके बलिदान को नमन किया। पीएम मोदी भी आज शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित किये।
इस आतंकी हमले में 14 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें 1 आम नागरिक और पांचो आतंकवादी शामिल थे। इसके अलावा 9 जवानों की भी जान इस हमले में चली गई थी। फिर भी भारतीय सुरक्षाबलों ने बहादुरी का परिचय देते हुए सभी आतंकियों को संसद भवन के अंदर दाखिल होने से रोक लिया था। ये आतंकी सेना की वर्दी पहनकर संसद भवन के अंदर ही दाखिल होने की मंशा से आए थे, लेकिन सुरक्षाबलों ने उनके मंसूबो का कामयाब नहीं उन्हें दिया।
100 सांसदों की जान थी खतरे में
यह घटना संसद सत्र के स्थगित होने के 40 मिनट के बाद हुई जिस दौरान करीब 100 सांसद भवन के अंदर मौजूद थे। जांच के बाद घटना में 4 लोगों की भागीदारी पाई गई थी जिनमें अफज़ल गुरु , शौकत हुसैन, एसएआर गिलानी और नवजोत संधू शामिल थे। इनमें से मुख्य आरोपी अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फांसी दे दी गई थी।
आठ महीने तक भारत-पाक बॉर्डर पर तैनात रही थी मिसाइलें
संसद हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से युद्ध की स्थिति बन गई थी। कारगिल युद्ध को सिर्फ ढाई साल ही हुए थे कि इस हमले के बाद एक बार फिर से सीमाओं पर मिसाइलें तैनात कर दी गई थीं। इस हमले के 8 महीने बाद तक भारत-पाकिस्तान के बीच बॉर्डर पर जंग के हालात बने रहे थे। हमले के बाद यह तनाव चरम पर पहुंच गया था। संसद पर हुए हमले के बाद ऑपरेशन पराक्रम लॉन्च हुआ और दोनों देश कारगिल की जंग के ढाई बरस बाद एक बार फिर से आमने-सामने थे।
ऑपरेशन पराक्रम हुआ था लॉन्च
13 दिसंबर को हमले के बाद 15 दिसंबर को ऑपरेशन पराक्रम लॉन्च किया गया। साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई जंग के बाद यह पहला मौका था जब सेना को पूर्णरूप से एक जगह से दूसरी जगह पर मोबलाइज किया गया था। यह ऑपरेशन सुरक्षा पर बनाई गई कैबिनेट कमेटी के फैसले के बाद लॉन्च किया गया था। तीन जनवरी 2002 में मिलिट्री मोबालाइजेशन पूरा हुआ और 16 अक्टूबर 2002 को यह ऑपरेशन खत्म हुआ।