पटना : चीन की दीवार को पूरी दुनिया जानती है लेकिन शायद ये बहुत कम लोग जानते हैं कि दुनिया की सबसे पुरानी दीवार नालंदा के राजगीर की पहाड़ियों पर है। पांच पहाड़ियों से घिरे देवनगरी राजगीर की पहाड़ियों के सीने पर दुनिया की सबसे पुरानी दीवार आज भी शान से खड़ी है। देर से ही सही अब इसे विश्व धरोहर सूची में शामिल करने की मुहिम शुरू हो चुकी है।
मगध साम्राज्य का यह सुरक्षा कवच साइक्लोपियन वॉल के नाम से जाना जाता है। लगभग ढ़ाई हजार वर्ष पहले इसे मगध साम्राज्य का सुरक्षा कवच माना जाता था। चालीस किलोमीटर लंबी इस दीवार का कुछ हिस्सा राजगीर की उंची पहाड़ियों के सीने पर आज भी शान से खड़ा है जिसे साइक्लोपियन वॉल के नाम से जाना जाता है। इस साइक्लोपियन वॉल को विश्व विरासत सूची में शामिल करने की मुहिम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छेड़ी है।
विभागीय अधिकारियों को इसके लिए तमाम जरूरी तैयारियां और कागजात तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। राजगीर की इन पहाड़ियों में बसे लोग आज भी मानते है कि इस दीवार की वजह से ही वो सुरक्षित हैं। साइक्लोपियन वॉल से सटे माता का एक पुराना मंदिर है जहां आज भी राजगीर की सुरक्षा के लिए बलि दी जाती है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुनिया की इस सबसे पुरानी दीवार को विश्व धरोहर सूची में शामिल कराने की मुहिम छेड़ रखी है। राजगीर और उसके ऐतिहासिक स्थलों को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री बेहद संजिदा रहते हैं। बात चाहे नालंदा विश्वविद्यालय की हो या पांडू पोखर के जीर्णोद्धार की।
ऐसे में अब देखना ये होगा कि मुख्यमंत्री ने इस साइक्लोपियन वॉल को विश्व विरासत सूची में शामिल करने की जो मुहिम छेड़ी है वो कब और कितना रंग दिखाती है।