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यहाँ पर रूस ने भारत के साथ फिर निभाई दोस्ती, पाकिस्तान और चीन को दिखाया ठेंगा

नई दिल्ली : परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) की सदस्‍यता के मुद्दे पर चीन और पाकिस्‍तान को झटका देते हुए रूस ने एक बार फिर भारत का समर्थन किया है और कहा है कि NSG सदस्‍यता के लिए भारत के आवदेन को पाकिस्‍तान से नहीं जोड़ा जा सकता। रूस की ओर से यह बयान इस मुद्दे पर लगातार भारत का विरोध कर रहे चीन के लिए झटके की तरह है।

कहते हैं कि दो नए दोस्तों से एक पुराना दोस्त ज्यादा अच्छा होता है। कुछ ऐसा ही रिश्ता है भारत और रूस का, जिसे रूस ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया है। एनएसजी के मुद्दे पर रूस ने पाकिस्तान और चीन को तगड़ा झटका देते हुए भारत के साथ अपनी दोस्ती की एक नई इबारत लिख दी है। रूस ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि एनएसजी सदस्यता को लेकर भारत के साथ पाकिस्तान की तुलना करना कतई सही नहीं है। बता दें कि चीन लगातार भारत की एनएसजी सदस्यता का विरोध कर रहा है, तो वहीं रूस भारत के लिए चीन को मनाने की हरसंभल कोशिश कर रहा है।

भारत की एनएसजी सदस्यता को लेकर चीन का रुख है कि 48 सदस्यों वाले एनएसजी ग्रुप के विस्तार के लिए एक कसौटी तय किए जाने के बदा मेरिट के आधार पर ही किसी देश को इसकी सदस्यता दी जाए। आपको बता दें कि एनएसजी ग्रुप अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर परमाणु व्यापार को नियंत्रित करता है, जिसके लिए भारत ने अपनी दावेदारी पेश की हुई है, लेकिन चीन भारत का बार-बार विरोध कर रहा है और पाकिस्तान को इसका सदस्या बनाने के लिए हर तरह के हथकंड़े अजमा रहा है। बुधवार को ये मामला एक बार फिर चर्चा का विषय बना, जब रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयानबकोव ने विदेश सचिव एस.जयशकंर से मुलाकात की।

यह पहली बार नहीं है, जब रूस ने इस मुद्दे पर भारत का समर्थन किया है। इससे पहले भारत ने इस मुद्दे पर रूस से संपर्क साधा था और तब वहां के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने भरोसा दिलाया था कि उनका देश इस मसले पर चीन के साथ बात करेगा।

भारत आने वालों वर्षों में परमाणु निर्यात को बढ़ावा देना चाहता है और ऐसे में NSG की सदस्‍यता उसके लिए महत्‍वपूर्ण है। इससे भारत में परमाणु परियोजनाओं में निवेश को लेकर दुनिया के विभिन्‍न देशों का भरोसा मजबूत होगा। इससे अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी भारत का दखल व उसकी धमक बढ़ेगी और वह विश्‍वव्‍यापी सामरिक मामलों में निर्णय लेने वाले राष्‍ट्रों में शुमार होगा।

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और चीन के विदेश मंत्री वांग यी 11 दिसंबर को भारत पहुंचेंगे। उस दौरान इस मुद्दे पर चर्चा हो सकती है।

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