पटना : बिहार में पिछले तीन दिनों से सेवा स्थायी करने की मांग को लेकर हड़ताल पर गए संविदा स्वास्थ्य कर्मियों की सेवा अब समाप्त होगी। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन ने इस संबंध में पत्र जारी कर सभी डीएम और सिविल सर्जन को आदेश दिया है कि हड़ताली संविदा कर्मियों को सेवा से मुक्त कर उनकी जगह दूसरे कर्मियों की बहाली करें। सरकार की इस कार्रवाई के बाद संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ गया है।
बिहार सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत संविदा पर बहाल किए गए 80,000 स्वास्थ्य कर्मियों के हड़ताल के बाद कड़ा रुख अपनाया है। बिहार सरकार की आदेश के अनुसार स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाएं तत्काल समाप्त की जाएंगी। संविदा पर बहाल किए गए 80,000 स्वास्थ्य कर्मियों ने 3 दिनों से हड़ताल किया है।
स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के तीसरे दिन राजधानी में स्वास्थ्य व्यवस्था प्रभावित हो गयी है। जिले के शहरी और ग्रामीण अस्पतालों में डाटा इंट्री ऑपरेटर के हड़ताल के कारण जहां मैनुअली रजिस्ट्रेशन हो रहा है, वहीं अस्पतालों का हाल यह है कि केवल नियमित डॉक्टरों के भरोसे ही वे संचालित हो रहे हैं, जिनकी संख्या काफी कम है।
संविदा पर नियुक्त स्वास्थ्य कर्मियों के तीसरे दिन की हड़ताल बुधवार की सुबह से काफी प्रभावी रही और राजधानी के शहरी स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों को एक अदद पुर्जा कटाने कटाने के लिए भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। गार्डिनर रोड, राजवंशी नगर, राजेंद्र नगर सहित गर्दनीबाग अस्पताल में नियमित कर्मचारियों के भरोसे ही मरीजों का इलाज किया गया।
वहीं राज्य सरकार के इस फैसले पर हड़ताल पर गए स्वास्थ्य कर्मियों ने भी कड़ तेवर अपना लिए हैं। उन्होंने सरकार के इस रवैये को तानाशाही बताते हुए आंदोलन को और तेज करने की बात कही है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो जरूरत पड़ने व भूख हड़ताल भी करेंगे और आत्मदाह से भी पीछे नहीं हटेंगे। किसी भी सरकारी अस्पताल में काम नहीं होने देंगे और अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो उसकी जिम्मेदार बिहार सरकार होगी।