नई दिल्ली : देश की लखटकिया कार के नाम से मशहूर टाटा की नैनो कार अब विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गयी है। कंपनी के साणंद संयंत्र में रोजाना औसत उत्पादन सिर्फ दो नैनो का है, जो यह बताने के लिए पर्याप्त है कि यह कार विलुप्त होने वाली है। देश के ज्यादातर हिस्सों के टाटा मोटर्स के डीलरों ने पिछले तीन महीने से छोटी कार का ऑर्डर देना बंद कर दिया है और शोरूम मौजूदा मॉडलों मसलन टियागो, टिगोर, हेक्सा व नेस्कॉन का डिस्प्ले कर रहे हैं।
कंपनी ने जब इस कार को लॉन्च किया था तब यह एक लाख रुपए की थी। इसे लखटकिया भी कहा जाता है। बढ़ती महंगाई के साथ इसकी कीमत भी बढ़ती गई। अब टाटा नैनो की कीमत 2.25 लाख रुपए से लेकर 3.20 लाख रुपए (एक्स-शोरूम, दिल्ली) के बीच है। टाटा नैनो के कई डीलर्स ने ऑर्डर लेने भी बंद कर दिए हैं। इन शोरूम पर अब टाटा टियागो, टिगोर, हेक्सा और नेक्सॉन आदि गाड़ियां बेची जा रही हैं। टाटा मोटर्स ने अगस्त में देश में अपने 630 शोरूम पर कुल 180 नैनो कार भेजी थीं। सितंबर में यह संख्या और घट गई। यह घटकर 124 रह गई और अक्टूबर में यह 57 रह गई। रिपोर्ट्स की मानें तो टाटा नैनो की डिमांड टैक्सी के तौर पर रह गई है। टाटा नैनो को टार्गेट से हिसाब से ही बनाया जा रहा है। सितंबर और अक्टूबर में त्योहारों के सीजन होने के चलते कार की डिमांड अधिक थी।
पिछले हफ्ते यह बताया गया था कि नैनो का इलेक्ट्रिक वर्जन का निर्माण किया जा रहा है। इसे टाटा मोटर्स और कोयंबटूर स्थित जयम ऑटोमोटिव्स मिल कर बना रहे हैं। यह भी खबर आई थी कि इस नई कार का नाम निओ होगा, इसे नैनो के बंद होने के तौर पर देखा जा रहा है। यानि टाटा की लखटकिया कार अब विलुप्त होने वाली है।