पटना : राजनैतिक रूप से हमेशा जागरूक रहे बिहार राज्य का सियासी ड्रामा इस जाते हुए वर्ष में काफी रोमांचक रहा। यहां नेताओं ने सीधे रास्तों पर भी कई ऐसी चालें चलीं, जिनसे राज्य में सत्ता का चेहरा तक बदल गया। जो युवराज सत्ता में थे, बेदखल हो गए और जो विपक्ष में बैठे थे, वे सत्ता में आ गए। CBI को नया काम मिल गया। लोगों ने कई चेहरे देखे, जिन पर जांच एजेंसियों ने भ्रष्टाचार की मुहर लगाई। इस साल बिहार की राजनीति में जो हलचल हुई, उसकी धमक केंद्र तक सुनाई दी। नए समीकरण बने, और जो कभी दोस्त थे, वे प्रखर विरोधी बन गए, और साल के जाते-जाते कद्दावर नेता जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए। इसी के साथ नई सियासी जंग भी शुरू हुई, जिसका नेतृत्व विपक्ष के एक मजबूत युवा नेता के हाथ में है।
1. टूट गया महागठबंधन : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस वर्ष भ्रष्टाचार के एक मामले में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के घिरते ही बेहद नाटकीय घटनाक्रम में न केवल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, बल्कि बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व लालू प्रसाद यादव की राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर बनाए गए महागठबंधन को भी तोड़ दिया।
2. बिहार में बनी नई सरकार :नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होते ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल हो गए और राज्य में BJP के साथ मिलकर सरकार बना ली, और एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए। गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के विरोध में नीतीश ने करीब चार साल पहले BJP का 17 वर्ष पुराना साथ छोड़ दिया था।
3. एक मंच पर आए मोदी-नीतीश : इस वर्ष की शुरुआत में सिखों के 10वें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी के 350वें प्रकाश पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विरोधी रिश्तों के बीच मंच साझा करना, गर्मजोशी से मिलना तथा इस मंच पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को जगह नहीं दिया जाना काफी चर्चा में रहे। इस मंच से मोदी और नीतीश ने एक-दूसरे की जमकर प्रशंसा की थी।
4. शरद यादव का जदयू से बेदखल होना : महागठबंधन के टूटने और बीजेपी के साथ नीतीश कुमार के जाने के बाद जदयू में भी विरोध के स्वर मुखर हो गए। जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव और राज्यसभा सांसद अली अनवर ने नीतीश के खिलाफ विद्रोह कर दिया। दोनों नेता खुलकर नीतीश के विरोध में आए। इसके बाद चुनाव आयोग में दोनों धड़ों ने खुद को असली जदयू बताते हुए लड़ाई लड़ी। यह अलग बात है कि अंत में फैसला नीतीश कुमार के पक्ष में आया, लेकिन इस विरोध के कारण शरद यादव और अली अनवर को राज्यसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी।
5. लालू प्रसाद यादव फिर जेल पहुंचे : साल के अंतिम दिनों में बिहार के दिग्गज नेता लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के एक मामले में अदालत द्वारा दोषी पाए जाने के बाद जेल भेज दिए गए। बिहार में सियासत अभी उबाल पर है। लालू के बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर आरोप लगा रहे हैं। उनका कहना है कि जनता ने वोट दिया था महागठबंधन को और अब बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं नीतीश कुमार।