नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने मिनिमम बैलेंस (MAB) न रखने वाले खाताधारकों से 1,771 करोड़ रुपये वसूले हैं। वित्त मंत्रालय ने ये आंकड़े जारी करते हुए बताया कि SBI ने ये राशि अप्रैल से लेकर नवंबर तक के बीच वसूली है। ये राशि बैंक के जुलाई-सितंबर तिमाही के 1,581.55 करोड़ रुपये के नेट प्रॉफिट से ज्यादा और अप्रैल-सितंबर के नेट प्रॉफिट 3,586 करोड़ रुपये से लगभग आधी है।
SBI ने 2016-17 के वित्तीय वर्ष के दौरान मिनिमम बैलेंस के रखरखाव के लिए कोई चार्ज नहीं लिया था। अब पांच साल के अंतराल के बाद चार्ज को फिर से शुरू किया गया है। SBI में कुल 42 करोड़ बचत खाते हैं, जिनमें से 13 करोड़ मूल बचत जमा खाता और प्रधान मंत्री जन धन योजना खाते हैं। दोनों ही श्रेणियों को ऐसे शुल्कों की लेवी से छूट दी गई है।
SBI के बाद पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने अप्रैल-नवंबर के दौरान सबसे ज्यादा चार्ज वसूला है। PNB ने इस दौरान 97.34 करोड़ रुपये वसूला है। इसके बाद सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI) ने 68.67 करोड़ रुपये और कैनरा बैंक ने 62.16 करोड़ रुपये मिनिमम बैलेंस चार्ज वसूला है। पंजाब और सिंध बैंक एकमात्र सरकारी स्वामित्व वाला बैंक है, जिसने अप्रैल-नवंबर के दौरान और 2016-17 में कोई भी चार्ज नहीं वसूला है।
सरकारी और निजी, अधिकांश बैंक खाते में मिनिमम बैलेंस नहीं रखने के लिए चार्ज वसूलते हैं। एचडीएफसी, आईसीआईसीआई और एक्सिस जैसे कई अन्य बैंक कैश ट्रांसजेक्शन को कम करने के लिए एक निश्चित सीमा के बाद चार्ज वसूलते हैं। मिनिमम बैलेंस नहीं रखने पर निजी बैंकों ने कितनी राशि वसूली है, इसकी आंकड़े अभी जारी नहीं हुए हैं।
SBI ने विभिन्न लेनदेनों पर 1 अप्रैल, 2017 से चार्ज बढ़ा दिया था। इसमें से कैश डिपॉजिट और बचत खातों में मिनिमम बैलेंस न रखने पर चार्ज शामिल हैं। सितंबर में बैंक ने मेट्रो शहरों में अपने ग्राहकों को छूट देते हुए मिनिमम बैलेंस को 5000 रुपये से 3000 रुपये कर दिया था। अप्रैल और सितंबर के बीच, SBI ने मेट्रो, शहरी और ग्रामीण केंद्रों में मिनिमम बैलेंस में विफलता के लिए सर्विस चार्ज लगाया।