नई दिल्ली : सरकारी और निजी बैंकों के ग्राहकों द्वारा बचत खातों में मिनिमम बैलेंस न रखने पर बैंकों द्वारा अनुचित रकम वसूलने का मामला सामने आया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई आईआईटी-मुंबई के प्रोफेसर ने एक अध्ययन के जरिये यह दावा किया है कि सरकारी और निजी सेक्टर के बैंकों द्वारा ग्राहकों के अपने बचत खातों में न्यूनतम शेष बैलेंस नहीं रखने पर अनुचित शुल्क वसूला जा रहा है।
मुंबई आईआईटी के सांख्यिकी के प्रोफेसर प्रोफेसर आशीष दास द्वारा किए गए अध्ययन में दावा किया गया है कि यस बैंक और इंडियन ओवरसीज जैसे कई बैंक ग्राहकों द्वारा अपने खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर 100 फीसदी से ज्यादा का सालाना जुर्माना लगा रहे हैं। इस बारे में रिजर्व बैंक के स्पष्ट दिशानिर्देश हैं कि न्यूनतम शेष नहीं रखने पर ग्राहकों पर उचित जुर्माना ही लगाया जाना चाहिए।
न्यूनतम राशि नहीं रखने पर बैंक वसूल रहे हैं भारी जुर्माना
दास द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार खाते में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर इंडियन ओवरसीज बैंक 159.48 फीसदी का जुर्माना लगा रहा है।
यस बैंक औसतन 112.8 फीसदी, एचडीएफसी बैंक 83.76 फीसदी और एक्सिस बैंक 82.2 फीसदी जुर्माना वसूल रहा है।
अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय स्टेट बैंक 24.96 फीसदी का जुर्माना लगा रहा है।
विभिन्न बैंकों में न्यूनतम शेष राशि रखने की सीमा 2500 रुपये से एक लाख रुपये तक है।
अध्ययन में कहा गया है कि कई बैंक औसतन 78 फीसदी का सालाना जुर्माना लगा रहे हैं। इससे ज्यादा जुर्माने के सभी नियम खोखले साबित हो रहे हैं। अध्ययन में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने जुर्माना शुल्क ग्राहकों की दृष्टि से उचित तरीके से लगाने के नियम बनाए हैं। लेकिन खास तौर पर निजी बैंक इन नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और बैंक अपने गाहकों से मिनिमम बैलेंस न रखने पर उचित जुर्माने की जगह 100 फीसदी से भी ज्यादा की राशि वसूल ले रहे हैं।