रांची हाईकोर्ट से मुख्यमंत्री को बड़ा झटका लगा है। हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ गई है। ईडी के समन के खिलाफ सीएम की याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने फैसला सुनाते हुए कहा की समन होने के बाद दाखिल की गई याचिका, यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी गई। पहले सुप्रीम कोर्ट और अब झारखंड हाई कोर्ट से भी हेमंत को झटका मिला है। अब हेमंत के पास सीमित ऑप्शन है । ईडी ऑफिस पहुंचना और पूछताछ में सहयोग करना दूसरा ये है की हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ एक बार फिर से हेमंत सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगा सकते हैं।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्र और जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने मुख्यमंत्री के अधिवक्ता पी चिदंबरम की ओर से दी गई दलील को तसल्ली से सुना। वरिष्ठ वकील ने कहा था कि सीएम के खिलाफ जमीन घोटाले में कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं है, बावजूद सीएम हेमंत को समन भेजा गया है, जो गलत है। वरिष्ठ वकील पी चिदंबरम का ये भी कहना था ईडी ने नहीं बताया है की मुख्यमंत्री हेमंत आरोपी हैं या गवाह हैं। अबतक किस रूप में समन दिया गया है। दरअसल सीएम हेमंत ने पीएमएलए एक्ट 2002 की धारा 50 और 63 की वैधता को भी चुनौती दी थी . उनका दावा था कि पीएमएलए की यह धारा संविधान के द्वारा प्रदत मौलिक अधिकारों का उल्लंधन है।वैसे सुप्रीम कोर्ट में 2002 की धारा 50 और 63 की वैधता से जुड़ी याचिका पहले से लंबित है। और इसी सप्ताह इस मामले में संभावित रुप से कोर्ट का फैसला आ सकता है। माना जा रहा है की सीएम हेमंत की नजर सुप्रीम कोर्ट के उस संभावित फैसले पर टिकी हो। हालांकि कानून के जानकारों का दावा है कि सीएम हेमंत इस फैसले के खिलाफ एक बार फिर से सर्वोच्च न्यायालय का रुख करेंगे। क्योंकि इसके पहले सीएम ने ईडी की कार्रवाई को चुनौती देते हुए समन के खिलाफ 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में जब रिट याचिका दायर की थी तो सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई से इनकार कर दिया था और उन्हें पहले हाईकोर्ट जाने को कहा। इसके बाद ही सीएम ने झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
हेमंत सोरेन को बड़ा झटका l
