भगवान श्रीकृष्ण का निवास स्थान कहा जाने वाला द्वारका, भारत के पश्चिमी तट पर पर अरब सागर के किनारे पर स्थित गुजरात के जामनगर में है। वैसे तो द्वारका को खासतौर से द्वारकाधीश मंदिर के लिए जाना जाता है लेकिन शायद इस बात कि जानकारी कम ही लोगों को है कि द्वारका इंडिया के सात सबसे पुराने शहरों में से एक है। हिंदुओं के पवित्र तीर्थ स्थल माने जाने वाले द्वारका में ही भगवान विष्णु ने शंखाशुर नामक राक्षस का वध किया था। इस मंदिर को जगत मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कंश का वध करने के बाद उसके ससुर जरासंध ने 17 बार मथुरा पर आक्रमण किया था। जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा छोड़कर द्वारका को अपना निवास स्थान बनाया। मंदिर से महज 3 किमी की दूरी पर रूकमणि जी का मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ऋषि दुर्वासा ने एक बार श्रीकृष्ण और रूकमणि जी के दर्शन किए और उनसे अपने निवास स्थल पर चलने की इच्छा जताई। रास्ते में रूकमणि जी को प्यास लगी और उन्होंने श्रीकृष्ण से पानी मांगा। आसपास पानी का कोई साधन न होने की वजह से उन्होंने एक छेद खोला और गंगा नदी के पानी को उस जगह ले आए। इससे ऋषि दुर्वासा नाराज हो गए और उन्होंने रूकमणि जी को वहीं रहने का शाप दे दिया। इसलिए यह मंदिर द्वारका से बाहर है।
आर्कियोलॉजिस्ट के अनुसार मंदिर लगभग 2,200 वर्ष पुराना है। 7 मंजिला इस मंदिर में 72 स्तंभ है। मंदिर में 84 फीट की ऊंचाई पर एक झंडा लहराता है जिसे दिन में 5 बार बदला जाता है। सूर्य और चंद्रमा का प्रतीक माने जाने वाले इस झंडे का रंग हर दिन अलग होता है। मंदिर का शिखर 78.3 मीटर ऊंचा है। मंदिर का निर्माण चूना पत्थर द्वारा किया गया है इसलिए इसकी खूबसूरत आज भी वैसी ही बरकरार है। मंदिर में दो प्रवेश द्वार हैं। स्वर्ग द्वार जहां से भक्त प्रवेश करते हैं और दूसरा है मोक्षद्वार(मुक्ति द्वार) जहां से बाहर निकलते हैं।
द्वारकाधीश मंदिर में सुबह 7बजे से दोपहर 12.30 बजे तक और शाम 5 बजे से रात 9.30 बजे तक दर्शन कर सकते हैं।
द्वारका, अहमदाबाद-ओखा ब्रॉड गेज रेलवे लाइन पर एक स्टेशन है, जिसमें अहमदाबाद, जामनगर और राजकोट से जोड़ने वाली ट्रेनें शामिल हैं।
टूरिस्ट आसानी से गुजरात रोडवेज बसों द्वारा जामनगर से द्वारा पहुंच सकते हैं।
यहां तक पहुंचने का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट जामनगर है।