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हर मैच से कुछ नया सीखने की धुन है बुमराह की ‘सफलता’ का राज़

भारतीय तेज़ गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह ने कहा कि हर नए मैच में कुछ नया सीखने की धुन से उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बने रहने में मदद मिली. श्रीलंका के खिलाफ तीसरे वनडे मैच में 27 रन देकर पांच विकेट लेकर अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बुमराह ने कहा कि उन्होंने मुंबई इंडियंस की तरफ से खेलते हुए श्रीलंका के तेज़ गेंदबाज़ लसित मलिंगा से काफी कुछ सीखा.

कुछ नया सीखना ही है उद्देश्य
भारत की छह विकेट से जीत में अहम भूमिका निभाने वाले बुमराह ने कहा, “गेंदबाज़ होने के नाते आपको हमेशा कुछ नया सीखना होता है और मेरा हमेशा यही उद्देश्य रहता है. मैं पहली बार श्रीलंका के दौरे पर आया हूं और इससे पहले मैं कभी यहां नहीं खेला था इसलिए भिन्न परिस्थितियों में खेलना हमेशा चुनौती होती है.” उन्होंने कहा, “मैं हमेशा ऐसा (लगातार सीखना) करता हूं और सीनियर खिलाड़ियों से सवाल करता रहता हूं क्योंकि उन्हें अपार अनुभव है. एक गेंदबाज़ के तौर पर मेरे अंदर यह मूल बदलाव आया क्योंकि मैं अब हमेशा कुछ सीखता हूं. जब आप युवा होते हो तो आप नहीं जानते कि आपको कहां जाना है और क्या करना है.”

मलिंगा से मिली लगातार आगे बढ़ने में मदद

मलिंगा जैसे गेंदबाज़ों के नियमित संपर्क में रहने से भी एक तेज़ गेंदबाज़ के रूप में आगे बढ़ने में उन्हें मदद मिली. बुमराह ने कहा, “जब मैं 2013 में 19 साल का था तब वह मुंबई इंडियन के साथ थे. मैं तो तब काफी युवा था जिसने प्रथम श्रेणी क्रिकेट भी नहीं खेली थी इसलिए उनसे बात करना और उनसे सीखना बहुत उपयोगी रहा. मैंने पिछले तीन चार सालों में उनसे काफी कुछ सीखा है. मेरा मानना है कि जो भी ज्ञान आप प्राप्त करते हो वह बहुत महत्वपूर्ण होता है.”

टीम में निभाई कई भूमिकाएं
बुमराह ने भारतीय टीम में कई भूमिकाएं निभाई हैं. शुरू में वह पहले बदलाव के गेंदबाज़ के तौर पर गेंद संभालते थे, वह डेथ ओवरों के विशेषज्ञ बने और अब भुवनेश्वर कुमार के साथ लगातार नई गेंद संभाल रहे हैं. इस तेज़ गेंदबाज़ को मैच में किसी भी समय गेंदबाज़ी करने में कोई परेशानी नहीं है.

उन्होंने कहा, “टीम की सफलता में योगदान देने में मुझे खुशी होती है. अगर टीम चाहती है कि मैं पहले बदलाव के तौर पर गेंदबाज़ी करूं तो मुझे ऐसा करने में खुशी होगी. अगर टीम चाहती है कि मैं नई गेंद से गेंदबाज़ी करूं तो मैं उसमें भी खुश हूं.” बुमराह ने कहा, “मैं पहले भी नई गेंद से गेंदबाज़ी कर चुका हूं जब मैं टी20 प्रारूप में भारतीय टीम में आया था. मैंने आशीष (नेहरा) भाई के साथ नई गेंद साझा की थी. मुझे लगता है कि समय के साथ आप सीख जाते हैं कि नई गेंद के साथ कैसी गेंदबाज़ी करनी है.” उन्होंने कहा, “मैं गुजरात और आईपीएल में भी पहले बदलाव के गेंदबाज़ के रूप में गेंदबाज़ी करता रहा हूं. मुझे वहां से भी थोड़ा अनुभव मिला. चाहे आप नई गेंद संभालो या पुरानी, टीम की सफलता में योगदान देकर हमेशा अच्छा लगता है.” बुमराह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बने रहने के लिए एक गेंदबाज़ को लगातार खुद को बेहतर बनाना होता है क्योंकि अगर आप एक ही रणनीति पर कायम रहते हैं तो बल्लेबाज़ उसे समझ लेंगे.

उन्होंने कहा, “इसलिए आपको खुद का विकास करते रहने होगा. आपको खुद को परिस्थितयों के अनुसार ढालना पड़ेगा क्योंकि अगर आप केवल एक चाल पर निर्भर रहते हैं तो एक निश्चित समय के बाद आपकी वह चाल नहीं चल पाएगी.”

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