भोपाल देश के 14 शहरों में वाहनों से कम कार्बन का उत्सर्जन कर स्वच्छ परिवहन वाले शहरों में पहले स्थान पर रहा है। यह स्थान शुक्रवार सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) द्वारा जारी रिपोर्ट में मिला है। इसकी सबसे बड़ी वजह भोपाल में रोजाना डेढ़ लाख लोगों द्वारा निजी वाहनों का उपयोग न कर लोक परिवहन से सफर करना सामने आया है।
पर्यावरण के लिए काम करने वाली इस संस्था सीएसई ने 14 ब़उे शहरों में वाहनों की संख्या के मुकाबले कार्बन उत्सर्जन के आंकड़े जुटाएं हैं। इसमें पता चला है कि भोपाल में लोक परिवहन ज्यादा आसान होता जा रहा है। इसके चलते अब लोग निजी वाहनों का उपयोग कम करने लगे हैं। जानकारी के मुताबिक भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) की 16 रूटों पर चल रही 210 लो फ्लोर व मिडी बसों से रोजाना 1 लाख 50 हजार से अधिक लोगों द्वारा सफर करते है जो कम कार्बन उत्सर्जन की एक मुख्य वजह है।
क्योंकि यह सुविधा न होती तो ये लोग निजी वाहनों का उपयोग करते। इससे शहर की सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ती, जिससे कार्बन का स्तर बढ़ता। रिपोर्ट के मुताबिक स्वच्छ परिवहन वाले शहरों की रैंकिंग से साबित होता है कि साफ परिवहन और कार्बन उत्सर्जन कम करने में भोपाल ने काम किया है। दूसरे शहरों को भी लोक परिवहन की नीति को कड़ाई से अपनाना चाहिए। पर्यावरण साफ रखने के लिए लोक परिवहन के साथ साइकिल और पैदल चलने को बढ़ाना देना जरूरी है क्योंकि निजी वाहनों से निकल रहीं प्रदूषण फैल रहा है।
साल 1952 से लेकर 2008 तक देश में वाहनों की संख्या साढ़े दस करोड़ हुई। रिपोर्ट के मुताबिक अनुमान है कि महज अगले छह साल में इतने ही वाहन देश में और बढ़ जाएंगे। ऐसा हुआ तो पर्यावरण को नुकसान होगा। स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ेगा।
साल 2000-2001 में देश में कुल परिवहन में 75.5 फीसदी हिस्सा लोक परिवहन का था जो अनुमान के मुताबिक 2030-31 तक घटकर 44.7 फीसदी रह जाएगा। यानी रिपोर्ट के मुताबिक अनुमान है कि लोक परिवहन देश में तेजी से घटेगा। लोग निजी परिहवन को बढ़ावा देंगे, ऐसा हुआ तो नुकसान होगा।