पटना : बिहार प्रदेश कांग्रेस में टूट की बात अब बड़ी होती जा रही है। डमेज कंट्रोल को संभालने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह को दिल्ली तलब किया गया। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्षा सोनिया गांधी के अलावा सीपी जोशी और गुलाम नबी आजाद भी शामिल हुए। सोनिया के आवास पर सदानंद सिंह और अशोक चौधरी पहले से मौजूद थे। बैठक खत्म होने के बाद कांग्रेस के नेता सदानंद सिंह ने मीडिया से कहा कि पार्टी में सबकुछ ठीक-ठाक है। बैठक में संगठन को लेकर बातचीत हुई। टूट की किसी संभावना से इनकार करते हुए सदानंद ने कहा कि पार्टी में किसी तरह की कोई नाराजगी नहीं है। पार्टी में किसी तरह की असंतुष्टी नहीं है। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा कि इस तरह की कोई बात नहीं है। सभी मामलों पर सोनिया गांधी ने बातचीत की ।
सियासी हलकों में चर्चा है कि टूट के पीछे कांग्रेस के विधायकों की महात्वकांक्षा है। कांग्रेस के 27 विधायक 2015 में महागठबंधन के सहयोग से जीत कर आए थे। पिछले 20 वर्षों में इससे ज्यादा सीट कांग्रेस को कभी नहीं मिली थी। कांग्रेस को राज्य में सरकार चलाने का मौका भी मिला था, लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व का तेजस्वी यादव पर स्पष्ट निर्णय नहीं होने के कारण सरकार हाथ से निकल गई। 20 महीनों तक सत्ता का स्वाद चख चुके कांग्रेसियों को यह रास नहीं आ रहा है। आरजेडी की रैली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बीमार होने की वजह से नहीं आयी तो कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी विदेश में होने की वजह से । हालांकि सोनिया गांधी का रिकार्डेड मैसेज रैली में सुनाया गया और राहुल गांधी का संदेश भी पढ़ा गया। लेकिन, यह पार्टी में जान फूंकने के लिए काफी नहीं है। कांग्रेस के विधायकों को आगे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में रास्ता बदलना ही उन्हें उचित लग रहा है।
डैमेज कंट्रोल के लिए पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी के बुलावे पर सदानंद सिंह दिल्ली गये हुए हैं। जानकारी के मुताबिक पार्टी में टूट की पक्की खबर मिलने के बाद पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के हाथ-पांव फूल गये हैं। वहीं, मीडिया रिपोर्ट और बाकी चर्चाओं के मुताबिक यह बताया जा रहा है कि सदानंद सिंह पार्टी में टूट को हवा दे रहे हैं। पार्टी के कई विधायक पटना में जमे हुए हैं और लगातार बैठक जारी है। इधर बिहार में हो रही सियासी चर्चा के मुताबिक अशोक चौधरी भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफी करीबी हैं। दल बदल कानून से बचते हुए पार्टी में टूट के लिए 18 विधायकों के समर्थन की जरूरत है, जिसके लिए अंदर ही अंदर विधायक तैयार हैं।
ज्ञात हो कि महागठबंधन भंग हो जाने के बाद से कांग्रेस और राजद के रिश्ते में भी दूरी आयी है। अभी हाल में रैली में कांग्रेस विधायकों को नहीं बुलाये जाने को लेकर एक विधायक ने तल्ख टिप्पणी की थी। बताया जा रहा है कि उसके बाद से ही यह कयास लगाया जा रहा है कि कुछ विधायक आर-पार के मूड में हैं और कभी भी जदयू का दामन थाम सकते हैं। अंदर की खबर की मानें तो हाल में सरकार के मंत्री ललन सिंह से जाकर सदानंद सिंह ने मुलाकात की थी और उसके बाद सियासी हलकों में टूट की संभावना को देखा जाने लगा था। हालांकि, डैमेज कंट्रोल के लिए पहले भी अलाकमान ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और बाकी बड़े नेताओं को बिहार भेज चुकी है।