राज्य के नियोजित शिक्षकों को समान काम के लिए समान वेतन के मामले में मंगलवार को फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। इस मामले में पिछले सप्ताह भी देश के सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद रहने के लिए शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव आरके महाजन समेत तीन अफसर दिल्ली पहुंच चुके हैं जो सरकार के पक्ष का रखेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायधीश अभय मनोहर सप्रे और न्यायाधीश उदय उमेश मलिक की खंडपीठ नियोजित शिक्षकों के समान वेतनमान के मामले में सुनवाई करेगी। सुनवाई को लेकर सभी शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि भी दिल्ली पहुंच चुके हैं।
इस फैसले को लेकर राज्य के नियोजित शिक्षकों की निगाहें टिकी है। कोर्ट ने इस मसले पर अब तक राज्य सरकार का पक्ष सुना है। अब शिक्षक संगठनों के वकील अपना पक्ष रख रहे हैं।
बता दें कि समान काम के लिए समान वेतन की मांग को लेकर पटना हाइकोर्ट ने शिक्षकों के हक में फैसला सुनाया था। इसके बाद राज्य सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इससे पहले केंद्र सरकार ने बिहार सरकार का समर्थन करते हुए समान कार्य के लिए समान वेतन का विरोध किया था।
सरकार के हलफनामे में कहा गया कि नियोजित शिक्षकों को समान कार्य के लिए समान वेतन नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट में पूर्व में सौंपी गई रिपोर्ट में सरकार ने यह कहा है कि वह प्रदेश के नियोजित शिक्षकों को महज 20 फीसद की वेतन वृद्धि दे सकती है।
इधर, आज आने वाले फैसले पर शिक्षकों के साथ-साथ शिक्षक संघों की भी नजर रहेगी। बिहार माध्ममिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष केदारनाथ पांडेय और महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने उम्मीद जताई है कि कोर्ट द्वारा आने वाला फैसला नियोजित शिक्षकों के हक में होगा।