पटना (धर्मेंद्र प्रताप) : राज्य पथ परिवहन निगम मुख्यालय ( सुल्तान पैलेस ) पर्यटन विभाग से टूरिस्ट होटल में तब्दील होगा। इस आशय का एक प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा गया है जिसकी स्वीकृति चालू माह के अंतिम सप्ताह तक मिल जाने की उम्मीद जताई जा रही है। 37 कमरों और 2 वर्कशॉप वाले भव्य परिसर स्थित सुल्तान पैलेस में वर्ष 1961 से राज्य पथ परिवहन निगम मुख्यालय चल रहा है।
झारखंड बनने तक निगम मुख्यालय दोनों राज्यों में बसों का संचालन और मेनटेंस का काम करता था। निगम की स्थिति जैसे जैसे बिगड़ती गई निगम मुख्यालय की रौनक भी समाप्त होती गई लेकिन पैलेस का रौनक आज की तारीख में भी कम नहीं हुआ और आकर्षण आज भी बना हुआ है।
मुग़ल शैली में नवाव सुल्तान ने सुल्तान पैलेस का निर्माण कराया था और यह साल 1943 में बनकर तैयार हो गया था। इधर सरकार के इस प्रस्ताव के खिलाफ परिवहन निगम के अधिकारी-कर्मचारी संगठन विरोध में उतड़ आए हैं और इस फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की योजना पर विचार करने लगे हैं।
सुल्तान पैलेस का इतिहास
सुल्तान पैलेस का निर्माण पटना हाईकोर्ट के पूर्व जज और पटना विश्वविद्यालय के पहले भारतीय कुलपति सर सुल्तान अहमद ने कराया था। तकरीबन 10 एकड़ में इसके निर्माण पर तब 22 लाख रुपये खर्च हुए थे। विख्यात वास्तुविद अली जान ने इसे डिजाइन किया। निर्माण में सफेद संगमरमर का खूब इस्तेमाल हुआ है।
मुख्य हॉल और डाइनिंग रूम की छत, दीवारों की नक्काशी पर 18 कैरेट सोने का पानी देखा जा सकता है। महिलाओं के निवास स्थान को सुंदर बनाने के उद्देश्य से चीनी मिट्टी के रंग-बिरंगे टुकड़ों से फूल-पत्ते उकेरे गए।