सिंगापुर दौरे पर गये पीएम मोदी ने नानयांग टेक्निकल यूनिवर्सिटी में छात्रों के साथ बातचीत में कहा कि दुनिया स्पष्ट रूप से जान चुका है कि 21वीं सदी एशिया की सदी है.
नई दिल्ली: इंडोनेशिया, मलेशिया के बाद सिंगापुर पहुंचे पीएम मोदी ने नानयांग टेक्निकल यूनिवर्सिटी में छात्रों को संबोधित किया. पीएम मोदी ने यूनिवर्सिटी के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि सिंगापुर में मैंने जो भी देखा उसमें मैंने बदलते विश्व की झलक देखी. आप यहां सिर्फ नवाचार नहीं कर रहे हैं, बल्कि आप एक नये विश्व का गर्भाधान कर रहे हैं. एशिया के उज्ज्वल भविष्य के सामने चुनौती वाले प्रश्न का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 21वीं सदी एशिया की शताब्दी है. सबसे बड़ा सवाल है कि हम एशिया के लोग इसे फील करते हैं या नहीं. 21वीं सदी को एशिया की सदी बनाकर रहना है, यह हमारे लिए चुनौती है. यह अपने आप में विश्वास करना और यह जानना आवश्यक है कि अब हमारी बारी है. हमें इस अवसर का फायदा उठाना होगा और उसका नेतृत्व करना होगा.
पीएम मोदी ने कहा कि जिस प्रकार से चुनौतियां हैं, अगर हम हिसाब लगाएं तो अवसर हमारे पास ज्यादा हैं. कम से कम संघर्ष वाला यह क्षेत्र है. हम सांस्कृतिक रूप से हजारों साल से निकट रहे हैं. पिछले दिनों चीन के राष्ट्रपति से मुझे मिलने का मौका मिला. पहली बार अनौपचारिक बैठक हुई. कोई एजेंडा नहीं था. हम दो ही थे, घंटों तक साथ रहे. टहलते-उठते-बैठते हम बातें करते रहे. उस दौरान मैंने उन्हें एक डॉक्यूमेंट दिया. अमेरिकन यूनिवर्सिटी ने 2000 साल के आर्थिक विकास यात्रा पर एक रिसर्च किया है. इसमें एक फाइंडिंग है, जिसमें पिछले 2000 साल में करीब 16 सौ साल दुनिया की जीडीपी में पचास फीसदी योगदान चीन और भारत का था. और सिर्फ तीन सौ साल ही पश्चिम के देशों का प्रभाव बढ़ा. सोलह सौ साल में हमारे बीच कोई संघर्ष नहीं था.
मानव इतिहास में वैश्विक व्यापार के क्षेत्र में भारत और चीन का सदियों तक दबदबा रहा है. उस वक्त किसी तरह का संघर्ष नहीं था. हमें बिना किसी संघर्ष के कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने के बारे में सोचना होगा. उन्होंने कहा कि नवाचार और नैतिकता के साथ-साथ मानवीय मूल्यों के कारण हमने प्रगति की है.
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उन्होंने कहा कि तकनीक लोगों को सशक्त करता है. तकनीक समाज के बैरियर्स को तोड़कर उसे आगे लाता है. तकनीक को फ्रेंडली होना चाहिए और सबके लिए सुगम भी. पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं दुनिया को देखता हूं, मैं कभी मेरे देश की सेना के जवान को इतनी कठिन परिस्थिति में, कभी पानी में, कभी बर्फ के बीच में, कभी रेगिस्तान में घंटों तक देश की सेवा के लिए खड़े देखता हूं, किसी मजदूर को अपने बच्चों की जिंदगी संवारने के लिए अपनी जिंदगी घसीटते हुए देखता हूं, कभी किसी मां को घंटों तक मजदूरी करते देखता हूं तो मुझे लगता है कि जब ये लोग इतना करते हैं तो मुझे चैन से सोने का हक नहीं है. ये कॉमन मैन मेरी प्रेरणा है. इसलिए मैं बिना रुके-थके काम करता हूं. मैं 2001 से लाइम लाइट में आया हूं. लेकिन 2001 से आज तक मैंने 15 मिनट तक की भी छुट्टी नहीं ली है. मैं अपने शरीर को फिट रखता हूं.