चेन्नई : तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता का पांच दिसंबर, 2016 को चेन्नई के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया था। वो कई महीनों तक बीमारी से लड़ी, लेकिन फिर भी उन्हें बचाया नहीं जा सका। वहीं अब जयललिता के निधन से पहले का उनका एक कथित वीडियो क्लिप सामने आया है। जिसमें जयललिता ग्लास में जूस पीती नजर आ रही हैं।
पिछले साल दिसंबर में दिवंगत हुईं तमिलनाडु की भूतपूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता एक वीडियो में अस्पताल के बेड पर बैठे हुए, कोई पेय पीते हुए और शायद टीवी देखते दिखाई दे रही हैं, जो उनके अस्पताल में बिताए वक्त का पहला वीडियो है।
ये वीडियो आरके नगर सीट पर होने वाले उपचुनाव से एक दिन पहले सामने आया है। कथित वीडियो एआईएडीएमके के टीटीवी दिनाकरन गुट ने जारी किया है। वीडियो जारी कर दिनाकरन गुट ने आरोप लगाया है कि जयललिता का ठीक से इलाज नहीं किया गया। टीटीवी गुट ने कहा है कि हम उन लोगों का नाम नहीं बताना चाहते, जिन्होंने हमें ये वीडियो जारी करने से रोका था, लेकिन जयाललिता चाहती थीं कि वीडियो बने। आगे उनके और भी वीडियो जारी होंगे। वीडियो जारी होने के बाद चुनाव आयोग ने कहा है कि ये आचार संहिता का उल्लंघन है और चुनाव आयोग टीटीवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करेगा।
वहीं अपोलो अस्पताल ने वीडियो को लेकर अपनी सफाई में कहा है कि ये वीडियो जयललिता का आधिकारिक वीडियो नहीं है। इसे परिवार के किसी सदस्य ने बनाया है। माना जा रहा है कि दिनाकरन धड़े ने जयललिता की मौत की सच्चाई से पर्दा उठाने के लिए ये वीडियो जारी किया है।
जयललिता के वीडियो को लेकर चुनाव आयोग ने सभी न्यूज चैनलों को निर्देश जारी कर कहा है कि आगे इससे जुड़ा कोई भी वीडियो टेलीकास्ट न करें, क्योंकि इसका असर गुरुवार को होने वाले आरके नगर उपचुनाव पर पड़ सकता है। इस पर होने वाली कोई भी चर्चा आचार संहिता का उल्लंघन मानी जाएगी।
आरके नगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहीं जयललिता के पिछले साल दिसंबर में निधन के बाद यह सीट खाली हो गई थी। सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद उन्हें 22 सितंबर को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां लंबे इलाज के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और 5 दिसंबर को उनका निधन हो गया। जयललिता की मौत की वजह अभी तक साफ नहीं हो पाई है और इस सिलसिले में एक जांच आयोग भी गठित किया गया था। इस मामले की न्यायिक जांच के लिए रिटायर्ड जज ए अरुमुगासामी की अगुवाई में जांच आयोग का गठन किया गया था।