नई दिल्ली- होटल व रेस्तरां में खाने जाएं तो अपनी जेब की सुरक्षा स्वयं करें। खाने के बिल में सर्विस चार्ज जोड़कर आपकी जेब खाली कराई जा सकती है। इस अतिरिक्त वसूली को रोकने के लिए न कोई नियम है और न कानून। उपभोक्ता संरक्षण कानून में इसके लिए कोई उचित प्रावधान नहीं है। इस बारे में पूछने पर केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने सर्विस चार्ज को स्वैच्छिक बताकर कहा ‘लोग इसके खिलाफ खुद लड़ें।’
रेस्तरां और होटलों में खाने के बिल के साथ 10 फीसद तक सर्विस चार्ज लगाने का चलन है। जबकि सर्विस चार्ज का कोई हिस्सा सरकारी खजाने में नहीं जाता है। ज्यादातर रेस्तरां व होटलों ने इसे अच्छी सर्विस देने का शुल्क मानकर वसूलना शुरू किया है। जबकि इसके लिए वेटर को टिप्स के तौर पर उपभोक्ता कुछ पैसे देता रहा है। इस अतिरिक्त वसूली के खिलाफ ढेर सारी शिकायतें उपभोक्ता मामले मंत्रालय को मिलने लगीं तो केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने हस्तक्षेप करते हुए शुरुआती दिनों में सख्त बयान तो जारी किया। लेकिन स्थितियों में कोई सुधार नहीं हुआ।
उन्होंने इस पर रोक के लिए राज्य सरकारों को एक दिशानिर्देश भेजा, जिसमें कहा गया कि सर्विस चार्ज स्वैच्छिक है। राज्य अपने स्तर से इसकी वसूली अनिवार्य रूप से न होने दें। भेजे गये दिशानिर्देश में कहा गया है कि खाने के बिल में सर्विस चार्ज का कॉलम छोड़ा जाएगा जिसे ग्राहक खुद भरेगा। इसके बाद ही फाइनल बिल बनाया जाएगा। आगे कहा गया है इसके बावजूद रेस्तरां व होटल सर्विस चार्ज के नाम पर वसूली जारी रखें तो उनके खिलाफ अदालत में जाया जा सकता है।
जानकारों का मानना है कि मौजूदा उपभोक्ता संरक्षण कानून में सर्विस चार्ज वसूलने वालों पर सख्त कार्रवाई अथवा उन पर जुर्माना ठोकने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में तो उपभोक्ता अपनी जेब की सुरक्षा स्वयं करें।