चिन्मय मिशन आश्रम, बड़ा तालाब के पास शुक्रवार की सुबह सात बजे मिशन के संस्थापक स्वामी चिन्मयानंद का 25वां समाधि दिवस साधना दिवस के रूप में मनाया गया। आचार्य स्वामी माधवानंद ने स्वामी चिन्मयानंद की तस्वीर के समक्ष पूजा-अर्चना की। उनकी पादूका की भी पूजा करते हुए उनके आदर्शों को स्मरण किया गया। यजमान मंत्री पवन कुमार सप|ीक थे। मालूम हो कि तीन अगस्त 1993 वह विशेष दिन था, जिस दिन अमेरिका में स्वामी चिन्मयानंद का शरीर शांत हुआ। उनकी मृत्यु के बाद हिमाचल प्रदेश के सिंघबाड़ी में उनकी समाधि बनाई गई। तब से प्रत्येक साल चिन्मय मिशन परिवार और श्रद्धालु इस दिवस को समाधि दिवस और साधना दिवस के रूप में मनाते हैं। स्वामी माधवानंद ने स्वामी चिन्मयानंद की जीवन और आदर्शों पर प्रकाश डाला।
बताया कि केरल में वर्ष 1916 में जन्म चिन्मयानंद अपने विद्यार्थी जीवन में काफी सक्रिय रहे। स्वतंत्रता आंदोलन में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई। त्रिशूर से ग्रेजुएशन के बाद लखनऊ से पीजी किया। आजादी के आंदोलन में सक्रिय होने के कारण इनके साथ ऐसी घटना घटी की इन्हें मारपीट कर मरनासन्न स्थिति में जंगल मारपीट की घटनाएं हुईं, जिसमें उन्हें घायल मरणासन्न कर बाहर फेंक दिया गया। तब एक संभ्रात माता की नजर मरणासन्न चिन्मयानंद पर पड़ी उन्होंने उनको बेहतर चिकित्सा सेवा उपलब्ध करायी। स्वामी शिवानंद ने कुछ समय बाद साक्षात्कार का समय दिया। इसी बीच उन्होंने स्वामी शिवानद द्वारा गरीब, बीमार लोगों की समर्पित सेवा ने उनके दिलों को स्पर्श किया। मौके पर आश्रम के सचिव एसपी वर्मा, वेद प्रकाश बागला आदि ने भी अपने विचारों से भक्तों के समूह को अवगत कराया।