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शिखा बोलीं- मैंने वहां क्रिकेट सीखा, जहां औरत-मर्द में फर्क नहीं होता..

‘मैंने वहां क्रिकेट सीखा, जहां लोग औरत-मर्द में फर्क नहीं करते।’ ये बातें इंडियन क्रिकेटर शिखा पांडे ने शनिवार को इंडिया टुडे के ‘द लल्लन टॉप शो’ में कहीं। लखनऊ में ओयोजित शो के दौरान इस ऑलराउंडर ने अपने क्रिकेट जीवन से जुड़ी कई रोचक बातें साझा कीं। 28 साल की शिखा ने कहा कि उन्होंने गोवा में क्रिकेट का ककहरा सीखा और 5 साल की उम्र से बल्ला थाम लिया था।

महिला वर्ल्ड कप में भारतीय टीम में शामिल रहीं शिखा ने शो के दौरान सबसे पहले अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उनकी मां आजमगढ़ से हैं और पिता जौनपुर से। खुद आंध्र में पैदा हुईं, जो अब तेलंगाना में आता है। वह भोजपुरी भी जानती हैं। शिखा ने शो में मौजूद ऑडियंस का भोजपुरी में अभिवादन किया- ‘तोहन लोग कैसन बाड़जा ?’

फुटबॉल के गढ़ में शिखा ने क्रिकेट को चुना- शिखा ने अपने क्रिकेट जीवन के बारे में कहा, ‘गोवा में फुटबॉल ज्यादा पॉपुलर है। वहां सभी इस गेम में रुचि रखते हैं और एक-दूसरे को भी इसे खेलने के लिए प्रेरित करते हैं। मगर मुझे तो क्रिकेट का कीड़ा पहले ही लग चुका था।’ उन्होंने कहा। ‘सुबह-सुबह उठकर एशेज सीरीज देखती थी। फिर कभी श्रीनाथ की बॉलिंग तो कभी एंड्रयू फ्लिनटॉफ का ऑलराउंडर गेम।’

शॉन पोलक को देख ऑलराउंडर बनीं- ऑलराउंडर बनने के बारे में पूछे जाने पर शिखा ने कहा, ‘मुझे साउथ अफ्रीका के शॉन पोलक का गेम ज्यादा अच्छा लगा। उन्हीं को देखकर मैंने क्रिकेट में ऑलराउंडर बनने को सोची। 1996 क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान सनथ जयसूर्या और फिर शारजाह में सचिन तेंदुलकर को खेलते देख क्रिकेट को अपना लिया।’

एयर फोर्स की फ्लाइट लेफ्टिनेंट हैं शिखा- भारत की ओर से 2 टेस्ट और 32 वनडे खेल चुकीं शिखा इंडियन एयर फोर्स की फ्लाइट लेफ्टिनेंट हैं। खास बात ये कि शिखा को किसी भी स्पोर्ट्स कोटे के तहत एयर फोर्स में नौकरी नहीं  मिली, बल्कि वह खुद पढ़ने में इतनी अव्वल रहीं कि एयर फोर्स में इसी दम पर कमीशन हुई।

वर्ल्ड कप की तरह आगे भी महिला क्रिकेट देखें- शिखा ने कहा कि आप सबको वुमंस क्रिकेट भी देखनी चाहिए, जैसे इस बार वर्ल्ड कप के दौरान देखा। उन्होंने कहा, ‘और हमेशा ये दिमाग में रखकर देखें कि मेंस क्रिकेट और वुमंस क्रिकेट दोनों अलग हैं। क्या कोई रोजर फेडरर के खेल को इसलिए देखता है कि वो सेरेना के खेल से अच्छा है? हमें हर खेल को उसी फॉर्म में देखना होगा, जिस फॉर्म में वो है।’

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