पटना : जदयू के चुनाव चिन्ह ‘तीर’ को लेकर शरद यादव और नीतीश कुमार के गुटों के बीच चल रहे खींचतान पर आख़िरकार विराम लग गया। चुनाव आयोग ने इस खींचतान पर विराम लगाते हुए जदयू के चुनाव चिन्ह तीर को नीतीश कुमार का बताया। चुनाव आयोग ने जदयू के चुनाव चिन्ह तीर पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि चुनाव चिन्ह तीर पर शरद यादव का नहीं, बल्कि नीतीश कुमार का हक़ है। चुनाव आयोग के फैसले के बाद नीतीश गुट में ख़ुशी की लहर है।
शरद गुट ने नीतीश कुमार को राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं मानते हुए 2013 में बनी पार्टी कार्यसमिति को ही वैध मान रहा था, जिसमें कुल 1098 सदस्य थे। वहीँ चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 10 अप्रैल 2016 को शरद यादव के नेत्रित्व में हुई जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उन्होंने पार्टी अध्यक्ष पद पर बने रहने में असमर्थता जताते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम अध्यक्ष पद के लिए आगे बढ़ाया था।
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दर्ज जानकारी के मुताबिक, 23 अप्रैल 2016 को नीतीश कुमार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने अक्टूबर में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की, जिसमें शरद यादव सहित कुल 195 लोगों के नाम शामिल हैं। वर्तमान में राष्ट्रीय कार्यकारिणी में से 138 लोगों का समर्थन नीतीश कुमार को प्राप्त है, जो कि हलफनामे के साथ चुनाव आयोग को सौंपा गया था।
चुनाव आयोग ने कहा है कि नीतीश के पास विधायकों का अच्छा समर्थन है। इसी के साथ चुनाव आयोग ने छोटू भाई अमरसंग वसावा की अपने ग्रुप को असली जेडीयू बताने वाली याचिका को भी खारिज कर दिया है। शरद यादव खेमे ने गुजरात से विधायक छोटू भाई वसावा को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था। वहीं अब चुनाव आयोग ने आज इस पर अपना फ़ैसला दिया हैं कि तीर का चुनाव चिन्ह नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले ग्रूप के पास रहेगा। चुनाव आयोग के इस फैसले से शरद यादव खेमे को निराशा हाथ लगी है।