नई दिल्ली- मद्रास हाई कोर्ट ने वृद्धावस्था पेंशन वाले खातों में न्यूनतम बैलेंस की शर्त पूरी न होने पर देय शुल्क लगाने से बैंकों को रोक दिया है। मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति निशा भानु की पीठ इस संबंध में एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका एडवोकेट एस. लुईस ने दायर की थी। पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश दिया है।
हाई कोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और केंद्रीय संयुक्त वित्त सचिव व अन्य के पास नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी। याचिकाकर्ता का कहना था कि ऐसे खातों पर जुर्माना लगाने से वृद्धावस्था पेंशन योजना का असली उद्देश्य प्रभावित होगा। इस योजना का लक्ष्य 65 वर्ष से ज्यादा की आयु वाले ऐसे लोगों की सहायता करना है, जिनके पास अन्य कोई वित्तीय सहयोग नहीं है या जो किसी शारीरिक व मानसिक समस्या से पीड़ित हैं।
उन्होंने बताया कि भारतीय स्टेट बैंक की अलंगुलम शाखा ने 75 वर्षीय वृद्धा की 1,000 रुपये की पेंशन राशि में से जुर्माने के तौर पर 350 रुपये काट लिए थे। इस संबंध में याचिकाकर्ता ने शाखा प्रबंधक को पत्र लिखकर वृद्धावस्था पेंशन से जुड़े खातों में न्यूनतम बैलेंस न होने पर देय जुर्माना न काटने का अनुरोध किया लेकिन उस पर बैंक की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। उन्होंने कहा कि बहुत से वृद्ध इन खातों का इस्तेमाल केवल अपनी पेंशन पाने के लिए ही करते हैं, ऐसे में उन्हें न्यूनतम बैलेंस रखने के लिए बाध्य करना व्यावहारिक नहीं है।
एसबीआई ने न्यूनतम बैलेंस नहीं रखने वाले 388.74 लाख खातों से 235.06 करोड़ रुपये वसूलने की बात कही है। याचिकाकर्ता ने कहा कि वृद्धावस्था पेंशन से जुड़े खातों से इस तरह वसूली गई रकम वापस की जानी चाहिए।