वीडियोकॉन घोटाले में कई भारतीय एजेंसियां आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर और उनके परिजनों के खिलाफ पहले ही जांच कर रही हैं। अब यह मामला अमेरिका के बाजार नियामक प्रतिभूति व विनिमय आयोग (एसईसी) की जांच के दायरे में भी आ गया है। इसके अलावा भारतीय जांच एजेंसियां और नियामक मामले की जांच में मॉरिशस समेत विदेश में अपनी समकक्ष एजेंसियों से मदद लेने पर विचार कर रही हैं।
भारतीय एजेंसियां जांच में विदेशी मदद लेने पर कर रही हैं विचार
एसईसी के जन मामलों के प्रवक्ता ने जांच को लेकर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। आईसीआईसीआई बैंक भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। बैंक पहले ही कोचर के खिलाफ कुछ बड़े कर्ज देने के मामले में पक्षपात और पद का दुरुपयोग करने के आरोपों की स्वतंत्र जांच शुरू करा चुका है। मार्च की शुरुआत में जब मामले की पहली रिपोर्ट सामने आई थी, तब बैंक के बोर्ड ने कहा था कि उसे कोचर पर पूरा भरोसा है।
बढ़ रहा है कोचर और उनके परिजनों के खिलाफ जांच का दायरा
सूत्रों के मुताबिक, एसईसी मामले को गंभीरता से ले रहा है। आईसीआईसीआई बैंक अमेरिका में भी सूचीबद्ध है। एसईसी अपने भारतीय समकक्ष सेबी से मामले में ब्योरा मांग सकता है। भारतीय बाजार नियामक सेबी पहले ही आईसीआईसीआई बैंक और कोचर के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी कर चुका है। रिजर्व बैंक और कारपोरेट मामलों का मंत्रालय भी मामले की जांच कर रहे हैं। सीबीआई ने कोचर के पति और अन्य के खिलाफ एक प्राथमिक जांच दर्ज कर लिया है। अप्रैल में सीबीआई ने कोचर के देवर से पूछताछ की थी।
चंदा कोचर पर क्या हैं आरोप?
चंदा कोचर और उनकी फैमली पर आरोप है कि वीडियोकॉन ग्रुप को लोन देने में उन्?हें निजी तौर पर लाभ हासिल हुआ है। इसी के बाद बैंक ने चंदा के खिलाफ लोन बांटने में ‘कान्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट और निजी लाभ के लिए काम करने के आरोपों की स्वतंत्र जांच कराने का आदेश दिया। आरोप है कि वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए लोन का पैसा चंदा कोचर के पति की कंपनी न्यूपॉवर में आया।
इस मामले पर पिछले हफ्ते ही सेबी ने भी नोटिस जारी कर चंदा कोचर से पूरे मामले पर जानकारी देने को कहा था। आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपए का लोन वर्ष 2012 में दिया था, जिसमें से 2,810 करोड़ रुपए नहीं लौटाए गए। बैंक ने वर्ष 2017 में इसे एनपीए घोषित कर दिया था।
पहले से चल रही है जांच
इससे पहले भी कोचर के खिलाफ वीडियोकॉन को लोन देने में फायदा उठाने के आरोपों की जांच चल रही है। इस मामले में सीबीआई ने अपनी आरंभिक जांच के तहत कुछ आईसीआईसीआई बैंक अधिकारियों से पूछताछ की है। सीबीआई इस बात का पता लगा रही है कि साल 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए 3,250 करोड़ रुपए के लोन में बैंक किसी तरह की गड़बड़ी में शामिल है या नहीं। सीबीआई लेनदेन के जुड़े दस्तावेजों का अध्ययन कर रही है।
कानून अपना काम करेगा: गोयल
वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने आईसीआईसीआई बैंक में कुनबापरस्ती बरते जाने के मामले में कहा कि कानून अपना काम करेगा। उन्होंने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक एक अच्छा बैंक है, इसमें प्रक्रिया काफी मजबूत हैं।
इससे जुड़े किसी भी व्यक्ति को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। जहां तक कानून की बात है, कानून अपना काम करेगा और इस संबंध में प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। यह प्रक्रिया आईसीआईसीआई बैंक में आंतरिक तौर पर भी चल रही है और बाहर भी चल रही है। ये रिपोर्टे जल्द ही उपलब्ध होंगी।
कंपनियों पर सरकार की नजर
मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (एमसीए) की आईसीआईसीआई बैंक की चीफ चंदा कोचर के कुछ लेनदारों के साथ डीलिंग में कथित हितों के टकराव से संबंधित मामले से जुड़ी कंपनियों पर पूरी नजर है।
एमसीए के अनुसार, आईसीआईसीआई बैंक के मामलों पर मिनिस्ट्री द्वारा गौर नहीं किया जा रहा है, क्योंकि यह पूरी तरह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के अधिकार क्षेत्र में आता है।
एमसीए के एक सीनियर अफसर ने कहा था कि मिनिस्ट्री उन कंपनियों से जुड़े फ्रॉड, प्राथमिकता देते या कम मूल्य पर ट्रांजैक्शंस से संबंधित आरोपों पर विचार कर रही है, जो आईसीआईसीआई मामले के बाद विवादों में आई थीं। हालांकि अधिकारी ने कंपनियों से जुड़ी डिटेल्स का खुलासा नहीं किया, जो मिनिस्ट्री के रडार पर हैं।