विकास के दावों की खुली पोल: सोनुआ के मेईलपीड़ गांव तक आज भी नहीं पहुंची पक्की सड़क
चाईबास,
झारखंड सरकार जहां गांव-गांव तक विकास पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं पश्चिम सिंहभूम जिले के सोनुआ प्रखंड में स्थित मेईलपीड़ गांव की जमीनी हकीकत इन दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। यह छोटा सा आदिवासी बहुल गांव आज भी पक्की सड़क से वंचित है, जिससे ग्रामीणों को रोजमर्रा की जिंदगी में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
गांव तक पहुंचने के लिए कोई सरकारी सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों ने मजबूरी में जंगल और झाड़ियों को काटकर एक संकरा कच्चा रास्ता तैयार किया है। यह पगडंडी इतनी जोखिम भरी है कि उस पर चलना जान हथेली पर लेकर चलने जैसा है। बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए अभिभावक उन्हें गोद या कंधे पर बैठाकर ले जाने को मजबूर हैं।
बरसात के मौसम में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। कच्चा रास्ता कीचड़ और गड्ढों से भर जाता है, जिससे फिसलन और दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है। बीमार लोगों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को गांव से बाहर ले जाना ग्रामीणों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है।
ग्रामीणों का कहना है कि कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस पहल नहीं हुई। ग्रामीणों ने प्रशासन और सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द गांव तक पक्की सड़क का निर्माण कराया जाए, ताकि उन्हें भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।


