नई दिल्ली : तीन तलाक बिल गुरुवार को लोकसभा में पेश किया जा सकता है। बीजेपी ने इस दौरान अपने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी किया है। मुस्लिम महिलाओं को उनका संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिये है सरकार लोकसभा में मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक पेश करने वाली है।
ये है इस बिल से जुड़ी हुई खास बातें –
इस विधेयक को ट्रिपल तलाक बिल भी कहा जाता है।
इस विधेयक में आरोपी को तीन साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
इसे कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद पेश करेंगे। उम्मीद है कि सभी राजनीतिक दल इसका समर्थन करेंगे।
सरकार ने ट्रिपल तलाक पर कानून बनाने के लिए मंत्रियों की कमेटी गठित की थी।
ट्रिपल तलाक पर सख्त कानून मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल रहा है।
बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को विधेयक पेश करते वक्त लोकसभा में मौजूद रहने का आदेश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को अवैध करार दिया, लेकिन इसके बाद भी ऐसे 66 मामले सामने आए हैं।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीते 15 दिसंबर को ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक’ को मंजूरी प्रदान की थी।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले अंतर-मंत्रालयी समूह ने विधेयक का मसौदा तैयार किया था। इस समूह में वित्त मंत्री अरूण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और कानून राज्य मंत्री पी पी चौधरी शामिल थे।
इस विधेयक के तहत एक बार में तीन तलाक को ‘गैरकानूनी और अमान्य’ करार दिया गया है।
इसके मुताबिक एक बार में तीन तलाक देने वाले पति को तीन साल की जेल की सजा होगी।
विधेयक के प्रावधानों के अनुसार पति पर जुर्माना लगाया जाएगा और जुर्माने की राशि मजिस्ट्रेट तय करेगा।
इस कानून के मुताबिक, सिर्फ एक बार में तीन तलाक के मामले में लागू होगा और इससे पीड़िता को अधिकार मिलेगा कि वह अपने और नाबालिग बच्चों के लिए ‘उचित गुजारा भत्ते’ की मांग करते हुए मजिस्ट्रेट से संपर्क कर सके।
इस कानून के मुताबिक, महिला अपने नाबालिग बच्चों का संरक्षण भी मांग सकती है, हालांकि इस बारे में फैसला मजिस्ट्रेट करेगा।
गौरतलब है कि, 22 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने एक बार में तीन तलाक को गैरकानूनी और असंवैधानिक करार दिया था। प्रस्तावित कानून के मसौदे के अनुसार किसी भी तरह से दिए गए तीन तलाक को गैरकानूनी और अमान्य माना जाएगा, चाहे वह मौखिक अथवा लिखित तौर पर दिया गया हो या फिर ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सऐप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यमों से दिया गया हो।