मुंबई – सैयद अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को मंगलवार को 28 दिसंबर, 1996 को सोनीपत में हुए बम धमाकों के मामले में अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। टुंडा की दहशतभरी कहानी चूरन से जुड़ी हुई है। विश्वस्त पुलिस सूत्रों के मुताबिक बचपन में टुंडा के मोहल्ले में एक चूरनवाला चूरन बेचने आता था। वह अलग-अलग स्टाइल में चूरन बेचता था। एक बार उस चूरनवाले ने एक कागज पर विभिन्न तरह के चूरन रखे। उसके बाद उसने सभी चूरन के ऊपर थोड़ा सा सफेद पाउडर जैसा कुछ डाल दिया। फिर एक छोटी सी स्टिक को चूरन पर घुमाने लगा। कुछ सेकंड बाद पाउडर से जलने की आवाज आने लगी। टुंडा ने चूरनवाले से जब इस बारे में पूछा तो उसे पोटेशियम क्लोरेट, सुगर और सल्फ्यूरिक ऐसिड के बारे में पहली बार पता चला। लेकिन तब उस चूरनवाले को यह आभास नहीं था कि टुंडा उसकी सहज भाव से दी गई इस जानकारी का बाद में गलत और विस्फोटक इस्तेमाल करेगा। टुंडा ने चूरन के जरिए मिली इस जानकारी के अलावा अपने पेशे से सीखी जानकारी का भी गलत इस्तेमाल किया।
कारपेंटर था टुंडा
वह पेशे से कारपेंटर था। साथ ही अल्मोनियम के पाइप बेल्डिंग का भी काम करता था। आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के बाद जब उसने बम बनाने का फैसला किया तो पोटेशियम क्लोरेट, सुगर और सल्फ्यूरिक ऐसिड के साथ उसने अल्मूनियम के पाइप का भी बम बनाने में इस्तेमाल किया। इसलिए टुंडा को बम एक्सपर्ट के नाम से भी जाना जाता है।
कई शहरों में करवाए धमाके
उसने सिर्फ एक या दो शहरों में नहीं बल्कि देश के कई जगहों पर बम धमाके किए या करवाए। दरअसल, वह बम धमाकों की साजिश से पहले काम की तलाश में या पारिवारिक कारणों से देश के अलग-अलग शहरों में रहा। उसने उन्हीं जगहों पर ज्यादातर बम धमाके करवाए जहां वह कभी न कभी रह चुका था। गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ में टुंडा ने अपने 21 पतों का खुलासा किया था। इनमें से एक पता दिल्ली के उस दरियागंज इलाके का भी था जहां 1943 में उसका जन्म हुआ था।
दंगों ने बनाया आतंकी
बताया जाता है कि टुंडा शुरू में अलग-अलग शहरों में मेहनत और ईमानदारी से काम करता रहा लेकिन 1985 में हुए सांप्रदायिक दंगों में जब टुंडा के एक करीबी रिश्तेदार जफर भाई को जिंदा जला दिया गया तो फिर टुंडा ने बदला लेने की ठान ली।
लखवी का करीबी
पुलिस सूत्रों का कहना है कि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने देश में कई स्लीपर सेल बनाए। उनमें एक स्लीपर सेल का चीफ टुंडा को बनाया गया था। वह लश्कर चीफ जकी रहमान लखवी का खासमखास था।