नई दिल्ली: हैदराबाद यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट रोहित वेमुला की आत्महत्या को लेकर नया खुलासा हुआ है। जुडिशल इंक्वॉयरी पैनल की रिपोर्ट मंगलवार को सार्वजनिक की गई जिसमें कहा गया कि वेमुला ने अपनी मर्जी से सुसाइड किया। रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी की ओर से वेमुला और चार अन्य स्टूडेंट्स को हॉस्टल से निकाला जाना वेमुला को आत्महत्या के लिए उकसाने की वजह नहीं बना। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से गठित हुए कमीशन ने रिपोर्ट में बताया कि रोहित अपनी घर की परेशानियों से घिरा रहता था और वो इन हालातों से नाखुश था।
पारिवारिक समस्याओं से था परेशान
रोहित के सुसाइड नोट ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वो पारिवारिक समस्याओं की वजह से हताश था। नोट में ये भी लिखा था कि वो बचपन से अकेला था, जिससे भी उसे निराशा होती थी। उसने लिखा था कि उसके इस कदम के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि अगर रोहित यूनिवर्सिटी के फैसले से नाराज होते तो वो जरूर इसके बारे में लिखकर इशारा देते। रिपोर्ट में घटनाओं के लिए तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी और भाजपा लीडर बंडारू दत्तात्रेय को जिम्मेदार नहीं माना गया है।
दलित नहीं था रोहित
रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकल एमएलसी रामचंद्र राव, केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय और स्मृति इरानी बतौर पब्लिक सर्वेंट अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे और उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन को प्रभावित नहीं किया। वेमुला की जाति को लेकर रिपोर्ट में लिखा है कि रिकॉर्ड में मौजूद सबूत बताते हैं कि वह (वेमुला की मां वी राधिका) वढेरा समुदाय से ताल्लुक रखती हैं, इसलिए रोहित वेमुला को मिला अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र असली नहीं कहा जा सकता और वह अनुसूचित जाति से नहीं थे। बता दें कि वेमुला का केस दलित मुद्दा बनकर उभरा था। विपक्षी पार्टियों ने आरोप लगाया था कि वेमुला यूनिवर्सिटी प्रशासन और भाजपा नेताओं के उत्पीडऩ का शिकार हुए।