सुल्तानपुर से भारतीय जनता पार्टी सांसद वरुण गांधी ने रोहिंग्या मसले पर मोदी सरकार को अतिथि देवो भव: की परंपरा याद दिलाई है। वरुण ने एक लेख में कहा कि भारत को रोहिंग्या की मदद करनी चाहिए। वरुण ने लिखा है कि हमें म्यांमार रोहिंग्या को शरण देनी चाहिए, लेकिन उससे पहले वैध सुरक्षा चिंताओं का आकलन भी करना चाहिए। गौरतलब है कि वरुण का यह स्टैंड सरकार के रुख से बिल्कुल अलग है। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे में रोहिंग्या मुस्लिमों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बता चुके हैं।
आतिथ्य सत्कार का पालन करें
वरुण ने लिखा कि हमें शांतिपूर्ण उपायों से अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए उन्हें स्वेच्छा से घर वापसी में मदद करनी चाहिए। आतिथ्य सत्कार और शरण देने की अपनी परंपरा का पालन करते हुए हमें शरण देना निश्चित रूप से जारी रखना चाहिए। एक हिंदी अखबार के लिए लिखे लेख में वरुण ने कहा कि आजादी के बाद से करीब 4 करोड़ लोग भारत की सीमा लांघ चुके हैं अब और भी शरणार्थी आने की तैयारी में है। वरुण ने लिखा कि भारत ने शरणार्थियों को लेकर बहुत सी संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन इसके लिए कोई कानून नहीं बनाया है। उन्होंने कहा कि इस कानून के तहत उत्पीड़न से भागने वाले और गरीबी से भागने वाले शरणार्थियों की पहचान होनी चाहिए। वरुण ने मौजूदा समय में देश में रह रहे शरणार्थियों की समस्या का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने लिखा कि शरणार्थियों के लिए निवास की व्यवस्था सबसे बड़ी समस्या है, दिल्ली में रहने वाले ज्यादातर अफगानियों और म्यांमारियों को मकान मालिकों के भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
क्या कहता है केंद्र सरकार का हलफनामा ?
रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की योजना पर केंद्र सरकार ने 18 सितंबर को 16 पन्नों का हलफनामा दायर किया था। इस हलफानामे में केंद्र ने कहा कि कुछ रोहिग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क का पता चला है। ऐसे में ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरा साबित हो सकते हैं। केंद्र ने अपने हलफनामे में साथ ही कहा, ‘जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में सक्रिय रोहिंग्या शरणार्थियों के आतंकी कनेक्शन होने की भी खुफिया सूचना मिली है। वहीं कुछ रोहिंग्या हुंडी और हवाला के जरिये पैसों की हेरफेर सहित विभिन्न अवैध व भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए।