रेलवे यात्री किराए का बोझ नहीं बढ़ाते हुए कई दूसरे सोर्सेज से अपनी इनकम बढ़ाने पर जोर दे रहा है. रेलवे बोर्ड ने अपने सभी मंडलों से ‘मिशन मोड’ के साथ काम करते हुए विज्ञापन के जरिए रेलवे की एक-एक इंच भूमि से राजस्व जुटाने को कहा है. भारतीय रेलवे की गैर-किराया स्रोतों से अगले 10 साल में 39,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है. लेकिन इस योजना का परिणाम उम्मीद के विपरीत ठंडा रहा है.
कमाई के संदर्भ में 2016-17 में रेलवे ने जहां इन उपायों से 10,338 करोड़ रुपये की आमदनी की वहीं 2017-18 में 14,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य के मुकाबले उसे 8,600 करोड़ रुपये प्राप्त हुए. वित्त वर्ष 2018-19 में अप्रैल तक इस मद से राजस्व महज 32.65 करोड़ रुपये ही मिला है, जबकि लक्ष्य 1200 करोड़ रुपये का रखा गया है.
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी को लिखे लेटर में कहा है कि आप किराया से अलग अन्य स्रोतों से राजस्व सृजित करने की जरूरत से अवगत होंगे. अन्य उपायों के अलावा रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों को सुविधा में सुधार के लिए जगह का उपयोग कर अतिरिक्त राजस्व सृजित करने का त्वरित परिणाम निकल सकता है.’
उन्होंने लिखा है कि मंडलों को अपने क्षेत्र में सृजित होने वाले अतिरिक्त राजस्व सृजन को लेकर ‘वास्तविक आकलन’ करना चाहिए और इस बारे में उन्हें मासिक रिपोर्ट भेजनी चाहिए. लोहानी ने अपने लेटर में प्रत्येक जोन से विज्ञापन के जरिए आय सृजित करने को लेकर रेलवे की एक-एक ईंच संपत्ति का उपयोग करने को कहा है.