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रेप के झूठे सबूत का सच ऐसे आया सामने, कोर्ट ने पूछा- क्यों न मिले सजा

एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने कथित तौर बलात्कार पीड़ित को नोटिस जारी कर पूछा है कि अपने यौन उत्पीड़न के बारे में झूठ बोलने के लिए उसे क्यों नहीं दंडित नहीं किया जाना चाहिए। घटना के सीसीटीवी फुटेज को देखने के बाद कोर्ट शुक्रवार को इस नतीजे पर पहुंची कि उसके और आरोपी के बीच यौन संबंध अपसी सहमति से बने थे।

जज अनु ग्रोवर बलिगा कथित घटनास्थल के सीसीटीवी कैमरों के फुटेज के आधार पर नतीजे पर पुहंचीं। जज ने कहा, “आरोप लगाने वाली महिला वीडियो फुटेज में आरोपी को गले लगाते और चुंबन लेते हुए और खुद के कपड़े खोलती हुई देखी जा सकती है।” फुटेज से यह स्पष्ट होता है कि आरोपी पुरूष और आरोप लगाने वाली महिला के बीच आपसी सहमति से यौन संबंध बना था।”

जज ने कहा, “वैज्ञानिक सबूत यह स्पष्ट रूप से साबित करते हैं कि अभियोजन पक्ष ने आरोपी पर उनसे बलात्कार करने का झूठा आरोप लगाया है।” नई दिल्ली के रहनेवाले आरोपी को बरी करते हुए अदालत ने यह भी कहा कि झूठे सबूत देने के लिए महिला को “दंडित किया जाना चाहिए।”

महिला के मुताबिक, 2007 में तलाक लेने के तुरंत बाद, वह एक वैवाहिक पोर्टल पर एक आदमी के संपर्क में आई। महिला ने अपने और अपनी बेटी के रहने के लिए, उस अभियुक्त पुरूष के नाम पर एक फ्लैट किराए पर लिया। 19 मार्च 2013 को उसे घर खाली करने के लिए मकान मालिक का नोटिस मिला। चूंकि रेंट एग्रीमेंट अभियुक्त के नाम पर था, इसलिए वह उसके कार्यालय-सह-घर में गई, जहां उसने आरोप लगाया कि उस आदमी ने उसे कॉफी की पेशकश की। कॉफी पीने पीने के बाद वह बेहोश हो गई, और जब उसे होश आया तो उसने खुद को अधनंगी पाया और उसके जननांगों में एक टिश्यू पेपर था।

आदमी ने किया यह खुलासा

प्रतीकात्मक तस्वीर

उस आदमी ने महिला के आरोपों को खारिज किया और कहा कि उसके उस महिला के संग 2007 से शारीरिक संबंध हैं। वह हर महीने घर का खर्चा चलाने के लिए उसे 15,000 रुपये से 20,000 रुपये तक देता है। वह उससे शादी नहीं करना चाहती था क्योंकि वह “बहुत पढ़ी-लिखी नहीं थी।”

अभियुक्त व्यक्ति ने कोर्ट से कहा कि वह महिला उपने कार्यालय-सह-निवास में आई थी, तो वह यह जानकर बहुत नाराज हुआ था कि उस महिला ने लीज के दस्तावेजों पर जाली हस्ताक्षर किए थे। जिसके बाद उसने अपने वकील को बुलाया और उसने सलाह दी कि वह इस महिला की कोई मदद न करे।

उस आदमी ने यह भी सबूत दिया कि उस मुलाकात के दौरान उस महिला ने उसे प्यार करना शुरू कर दिया और इससे बाद उनका यौन संबंध बना। बाद में जब वह शौचालय से बाहर आया तो उसने पाया कि वह महिला उसके बटुए से कुछ पैसे लेकर वहां से जा चुकी थी। जिसके बाद  उस आदमी ने उस महिला के खिलाफ धोखाधड़ी का एफआईआर दर्ज कराया।

महिला ने इसे बताया था रेप का सबूत

प्रतीकात्मक तस्वीर

उस आदमी ने तर्क दिया कि जब उस महिला को यह एहसास हुआ कि वह उसकी मदद नहीं करेगा, तो महिला बदला लेना चाहती थी। बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि कमरे में लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज ने स्पष्ट रूप से साबित कर दिया कि महिला ने “प्यार करने के लिए उस आदमी को लुभाया” और इस बात का भी ख्याल रखा कि सबूत को “सुरक्षित रखने के लिए” उस टिश्यू पेपर को संभाल कर रख लिया जिससे उसने अपने जननांगों को साफ किया था।

कोर्ट ने यह पाया कि सीसीटीवी फुटेज और कमरे में मिली कॉफी के फॉरेंसिक रिपोर्ट उस महिला के सभी आरोपों को झूठा साबित कर रहे हैं।” फैसले में कहा गया, “कोर्ट इस बात से सहमत है कि बलात्कार की घटना के बारे में झूठे सबूत देने के लिए आरोप लगाने वाले पक्ष के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।”

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