नई दिल्ली : राहुल गांधी ने आज कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान संभाल ली है। पार्टी के चुनाव अधिकारी एम. रामचंद्रन ने उन्हें यहां पार्टी मुख्यालय में एक समारोह में अध्यक्ष चुने जाने का प्रमाणपत्र दिया। समारोह में राहुल गांधी की मां एवं कांग्रेस की निवर्तमान अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी के कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोहरा, पार्टी महासचिव जनार्दन द्विवेदी, पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता तथा बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद थे। इस मौके पर राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा और उनके पति रॉबर्ट वाड्रा भी मौजूद थे।
इस मौके पर बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष निर्वाचित होने पर उन्हें प्रमाण पत्र मिलने पर मैं उन्हें शुभकामनाएं और आशीर्वाद देती हूं। सोनिया ने कहा कि आज मैं आखिरी बार आपको कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में संबोधित कर रही हूं, एक नया दौर, एक नए नेतृत्व की उम्मीद आपके सामने है। 20 साल पहले जब आपने मुझे अध्यक्ष पद पर चुना तो मैं इसी तरह आपको संबोधित करने के लिए खड़ी थी। मेरे दिल में घबराहट थी, यहां तक कि मेरे हाथ कांप रहे थे, मैं समझ नहीं सकती थी कि मैं कैसे इस ऐतिहासिक संगठन को संभालुंगा, मेरे सामने मुश्किल चुनौती था, तबतक राजनीतिक से मेरा नाता नहीं था। जैसा कि आप लोग जानते हेैं कि राजीव जी और मेरा विवाह हुआ।
इंदिराजी ने मुझे बेटी के तरह से अपनाया था, उनसे मैंने उन उसूलों के बारे में सीखा जिसपर इस देश की नींव बनी है। 1983 में उनकी हत्या हुई थी, मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मेरी मां मुझसे छीनी गई थीं। इस हादसे ने मेरे जीवन को बदल दिया, मैं राजनीति को अलग तरह से देखती थी, मैं अपने आपको, बच्चों को इससे दूर रखना चाहती थी। लेकिन मेरे पति के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी थी, जिसके बाद राजीव जी ने इस जिम्मेदारी को उठाया, उनके साथ मैंने देश के कोने-कोने का दौरा किया, देश की चुनौतियों को समझा। इंदिरा जी की हत्या के बाद सात साल बीते थे कि मेरे पति की भी हत्या कर दी गई, मेरा सहारा मुझसे छीन लिया। इस दौर को पार करने में कई साल बीत गए हैं, केवल जब हर साल मुझे महसूस होने लगा कि कांग्रेस पार्टी कमजोर हो रही है, उसके सामने गंभीर चुनौतियां आ रही है, सांप्रदायिक ताकतें मजबूत हो रही है, तो मैंने पार्टी की कमान संभाली। मुझे महसूस हुआ कि इस जिम्मेदारी को नकारने से इंदिरा जी और राजीव जी की आत्मा को दुख होगा, इसीलिए देश के कर्तव्य को समझते हुए मैं राजनीति में आई। उस वक्त केवल तीन राज्य में हमारी सरकार थी, केंद्र से भी हम दूर थे। आप सबके सहयोग से हमने इस चुनौती का सामना किया, एक के बाद एक दो दर्जन राज्यों में हमारी सरकार बनी।
कमान संभालने के बाद अब राहुल गाँधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस की डूबती नैया को पार लगाना है, जो मात्र अब 6 राज्यों तक सिमट कर रह गई है।