रामगढ़ में एक व्यवसायी अलीमुद्दीन की भीड़ द्वारा पीट- पीट कर( मॉब लिचिंग) हत्या करने के सजायाफ्ता आठ लोगों को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट की जस्टिस एचसी मिश्र और जस्टिस बीबी मंगलमूर्ति की अदालत ने इनकी सजा पर रोक लगाते हुए अंतरिम जमानत प्रदान कर दी। रामगढ़ के विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस मामले में कुल 11 लोगों को दोषी पाते हुए 21 मार्च को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इनमें से आठ लोगों ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करते हुए जमानत प्रदान करने का आग्रह किया था।
शुक्रवार को सभी आठ सजायाफ्ता की ओर से पक्ष रखते हुए वरीय अधिवक्ता बीएम त्रिपाठी ने अदालत को बताया कि निचली अदालत ने साक्ष्यों पर गौर किए बिना ही फैसला सुनाया है। घटना के किसी भी चश्मदीद ने प्रार्थियों का नाम नहीं लिया है। निचली अदालत ने एक विडियो फुटेज के आधार पर सभी को दोषी करार दिया है। विडियो में आरोपियों को सिर्फ भीड़ में खड़ा दिखाया गया है। अलीमुद्दीन के साथ मारपीट करते विडियो में नही दिखाया गया है। भीड़ में कोई भी व्यक्ति खड़ा हो सकता है। सिर्फ भीड़ में खड़ा होने से कोई हत्या का दोषी नहीं हो जाता। इस कारण निचली अदालत का आदेश सही नहीं है। सभी आरोपियों को तत्काल जमानत मिलनी चाहिए और अपील पर सुनवाई होनी चाहिए।
सरकार की ओर से इस दलील का विरोध किया गया। सरकारी अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि विडियो में आरोपी भीड़ में खड़े हैं। जो कपड़ा उन्होंने पहना था वह उनके घर से बरामद भी हुए हैं। इससे साबित होता है कि उस घटना को अंजाम देने में सभी आठ लोग शामिल थे। इस कारण निचली अदालत के आदेश में कोई त्रुटि नहीं है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सजा पर रोक लगाते हुए सभी आठ को जमानत प्रदान कर दी।
इन्हें मिली जमानत
संतोष सिंह, विक्की साव, सिकंदर राय, उत्तम राय, राजू कुमार, रोहित ठाकुर, नित्यानंद महतो और कपिल ठाकुर।
क्या था मामला
29 जून 2017 को रामगढ़ में एक कारोबारी के वाहन में प्रतिबंधित मांस होने की आशंका पर भीड़ ने उसे घेर लिया था। भीड़ ने 55 वर्षीय कारोबारी अलीमुद्दीन ऊर्फ असगर अली की पिटाई कर दी जिसमें उसकी मौत हो गई। इसके बाद काफी हंगामा मचा था। संसद में भी मामला उठा था। इसके बाद झारखंड सरकार ने मामले की सुनवाई के लिए विशेष फास्ट ट्रैक का गठन किया। इस मामले की सुनवाई इसी कोर्ट में की गई।
कब क्या हुआ
29 जून 2017 को भीड़ ने अलीमुद्दीन को मार डाला
सितंबर 2017 में पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया
16 जून 2018 को 11 लोगों को दोषी करार दिया गया
21 मार्च 2018 को सभी दोषियों को मिली उम्र कैद की सजा
29 जून 2018 को आठ सजायाफ्ता को मिली जमानत