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राज्यपाल ने आदिवासी छात्रों के हितों की रक्षा करने के लिए सरकार को जरूरी दिए निर्देश

राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू

राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने आदिवासी छात्रों के लिए संचालित छात्रावासों की स्थिति में सुधार लाने का टास्क कल्याण विभाग के अफसरों को सौंपा है। साथ ही छात्रावासों के संचालन के लिए बनी नियमावली के अनुरूप उसे बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने तथा वहां का वातावरण स्टूडेंट फ्रेंडली बनाने को कहा है। उन्होंने संकेत दिया है कि छात्रावास का निर्माण जिनके लिए और जिन उद्देश्यों के साथ हुआ है, उसपर अमल किया जाए। समय-समय पर छात्रावास की परिसंपत्तियों का मूल्यांकन और उसके संचालन की प्रक्रिया मॉनीट¨रग हो। छात्रावास असामाजिक तत्वों का अड्डा न बने, इसका भी ख्याल रखा जाए।

आदिवासी छात्रावासों की दुर्गति की शिकायत पर तल्ख राज्यपाल ने मंगलवार को कल्याण मंत्री डॉ. लुइस मरांडी और उनके मातहत अधिकारियों के साथ मंत्रणा की। कल्याण सचिव हिमानी पांडेय और आदिवासी कल्याण आयुक्त गौरीशंकर मिंज ने भी इस मंत्रणा में शिरकत की और छात्रावासों के उन्नयन को लेकर चल रही विभाग की योजनाओं को साझा किया। राज्यपाल ने इस दौरान अनुसूचित जनजाति समुदाय से आनेवाले छात्रों को मिल रही पोस्ट मैट्रिक तथा प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति पर भी चर्चा की।

उन्होंने कहा कि ऐसा न हो कि संपन्न घरानों के बच्चों को छात्रवृत्ति मिले और जरूरतमंद इससे वंचित रह जाए। पिछले दिनों पकड़ में आई छात्रवृत्ति के फर्जीवाड़े की ओर उन्होंने अफसरों का ध्यान आकृष्ट कराया और इस पर रोक लगाने के मजबूत मैकेनिज्म तैयार करने की सलाह दी। अफसरों ने इस बीच राज्यपाल को छात्रवृत्ति मद में सालाना लगभग साढ़े चार सौ करोड़ रुपये बांटे जाने की जानकारी दी।

बताया कि छात्रवृत्ति में गड़बड़ियों को रोकने के लिए कई चेक प्वाइंट बनाए गए हैं। अफसरों की जवाबदेही सुनिश्चित की गई है। छात्रवृत्ति का दावा करने वाले दर्जनों संस्थानों का औचक निरीक्षण किया गया है। इनमें से फर्जी पाए गए संस्थानों को जहां ब्लैक लिस्टेड किया गया है, वहीं उनके विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है। अफसरों ने इस दौरान धारा 275 के तहत जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली राशि और उसके उपयोग से भी राज्यपाल को अवगत कराया। बताया कि संबंधित राशि से जहां राज्य में एकलव्य विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है, वहीं कई नए विद्यालय स्थापित किए जा रहे हैं।

संबंधित स्कूलों में अध्ययनरत प्रति बच्चा प्रतिवर्ष 61,500 रुपये खर्च किए जा रहे हैं। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं के निर्माण पर भी राशि खर्च की जा रही है। राज्य में संचालित 600 से अधिक छात्रावासों के रखरखाव के लिए विभाग ठोस कार्ययोजना तैयार कर रहा है।

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