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म्‍यांमार में रोहिंग्‍या मुस्लिमों पर होने वाले जुल्‍म की दास्‍तां

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय म्‍यांमार दौरे पर हैं। इस दौरे से म्‍यांमार और भारत से ज्‍यादा उम्‍मीदें रोहिंग्‍या मुस्लिमों की एक बड़ी आबादी को हैं। ये लोग म्‍यांमार में हुए अत्‍याचार के बाद भारत में शरण लेकर रह रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे से मिल रही सूचना को बेसब्री से देख रहे इन लोगों की आंखों में खौफ समाया हुआ है। दिल्‍ली के मदनपुर खादर स्थित जेजे कॉलोनी में बड़ी संख्‍या में म्‍यांमार से आए रोहिंग्‍या मुस्लिम विस्‍थापन की इस काली और खौफनाक रात की सुबह चाहते हैं। रोहिंग्‍या बताते हैं कि म्‍यांमार में उन्‍हें गुलाम कहकर पुकारा जाता है। उनसे कहा जाता है कि तुम बांग्‍लादेशी हो, बांग्‍लादेश जाओ। भारत जाओ। म्‍यांमार से बाहर निकल जाओ वरना मार दिए जाओगे। शाकिर बताते हैं कि उनसे कहा जाता है कि तुम बांग्‍लादेश के हो। तुम्‍हारे पुरखे 600 साल पहले बांग्‍लादेश से गुलाम बनाकर यहां (म्‍यांमार) लाए गए थे। तुम भी गुलाम हो। रोहिंग्‍या मुस्लिमों की हालत बहुत खराब है। दिल्‍ली की मदनपुर खादर जेजे कॉलोनी में रह रहे म्‍यांमार से आए रोहिंग्‍या मुस्लिम शरणार्थी

रोहिंग्‍या मुस्लिमों पर हुए ऐसे-ऐसे जुल्‍म
रिफ्यूजी अनवरा बेगम बताती हैं कि म्‍यांमार में सरकार ने रोहिंग्‍या मुस्लिमों पर बहुत ज्‍यादती की। यहां तक कि अभी भी रोहिंग्‍या का म्‍यांमार में रहना मुश्किल हो रहा है। म्‍यांमार में रोहिंग्‍या मुस्लिमों की करीब 40 लाख की आबादी थी। करीब एक लाख लोगों को मार दिया गया। अनवरा बेगम के अनुसार, मुस्लिम बच्‍चों को स्‍कूल नहीं जाने दिया जाता है। प्रेगनेंट महिलाओं का अस्‍पतालों में इलाज नहीं होता। डिलिवरी के दौरान उन्‍हें मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। अस्‍पतालों में जहां बौद्धों के लिए कोई फीस नहीं है जबकि उनसे फीस ली जाती है। पुलिस वाले मुस्लिमों को कभी भी जेल में डाल देते हैं। मुस्लिम वहां कुछ नहीं बोल सकता। कोई अधिकार नहीं है। बच्‍चे अगर घरों में पढ़ते हैं तो सरकार घरों में भी पाबंदी लगा देती है। वहां रहना बहुत मुश्किल है। म्‍यांमार से आकर मदनपुर खादर की झुग्गियों में रह रहे मोहम्‍मद सलीमुल्‍लाह कहते हैं कि वे इंसानी जीवन जीना चाहते हैं। जानवरों की तरह उन्‍हें बर्मा से खदेड़ दिया। अत्‍याचार किए। यहां भी वे झुग्गियों में रह रहे हैं। न शिक्षा है न रोजगार न अपनापन। बस जीवन काट रहे। उनके पास कोई मानवीय अधिकार नहीं है।

जेजे कॉलोनी में 300 से ज्‍यादा रोहिंग्‍या मुस्लिम शरणार्थी परिवार रहते हैं
रोहिंग्‍या मुस्लिमों ने बताया कि जब मार-काट ज्‍यादा होने लगी तो वे म्‍यांमार से बॉर्डर तक आए। वहां से एक नदी में नाव चलाकर बांग्‍लादेश पहुंचे। फिर बांग्‍लादेश से बस लेकर भारत के बॉर्डर आए और यहां से ट्रेन लेकर दिल्‍ली पहुंचे। इस दौरान कई बार चैकिंग हुई। रोहिंग्‍या मुस्लिम रिफ्यूजी कहते हैं कि उन्‍हें भारत में भी नहीं रहना। वे अपने देश म्‍यांमार में रहना चाहते हैं। लेकिन जब शांति होगी, उन्‍हें वोट का अधिकार मिलेगा तब ही वे वहां जाएंगे।

करीब आधा दर्जन राज्‍यों में हैं रिफ्यूजी
दिल्‍ली में करीब 800 शरणार्थियों सहित जम्‍मू, हैदराबाद, पंजाब, यूपी, पश्चिम बंगाल, राजस्‍थान में म्‍यांमार से आए करीब 40 हजार रिफ्यूजी रह रहे हैं। हालांकि संयुक्‍त राष्‍ट्र का आंकड़ा कुछ कम है।

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