नई दिल्ली : भाजपा में अलग-थलग पड़े पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करते हुए आंदोलन शुरू करने का ऐलान किया है। उन्हें कई और राजनीतिक दलों के नेताओं का भी समर्थन मिला है।
इस आंदोलन की शुरुआत करने के साथ ही इन नेताओं ने मोदी सरकार पर हमले करते हुए कहा है कि जहां आर्थिक रूप से देश संकट में आ गया है, वहीं इस वक्त हर तरफ डर का माहौल बन गया है। सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि अगर पार्टी फोरम पर बोल पाते और वहां सुनवाई होती, तो मंच बनाने की जरूरत नहीं होती।
इस मंच की पहली बैठक में इन दोनों नेताओं के अलावा तृणमूल के दिनेश त्रिवेदी, कांग्रेस की रेणुका चौधरी, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री सुरेश मेहता, माजिद मेनन, हरिमोहन धवन, जयंत चौधरी, उदय नारायण चौधरी, आम आदमी पार्टी के आशुतोष, संजय सिंह, समाजवादी पार्टी के घनश्याम तिवारी, शाहिद सिद्दीकी, पवन कुमार वर्मा आदि लोगों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति विकट है और प्रजातंत्र खतरे में है। उन्होंने जिस तरह से बजट सत्र महज 6 दिन का रखा है, वह अशुभ संकेत है। उन्होंने आरोप लगाया की मीडिया पर भी शिकंजा कसा जा रहा है और सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है।
सिन्हा ने कहा कि जीएसटी, नोटबंदी से जो हालत खराब हुई है, उसके बारे में देश की जनता को बताया जाएगा। वे चुप नहीं रह सकते, भले ही इसके लिए उन्हें कितनी बड़ी कीमत ही न चुकानी पड़े।
भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि वे अपनी पार्टी की नीति के विरुद्घ मंच नहीं बना रहे, बल्कि देश के मुद्दों लेकर वे जनता के पास जाएंगे। उन्होंने कहा कि यशवंत सिन्हा भी प्रधानमंत्री से मिलना चाहते थे, लेकिन उन्हें अवसर ही नहीं दिया गया।