नई दिल्ली : गुजरात विधानसभा चुनावों की जीत के बाद, अब बीजेपी आने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनावों में अपनी पकड़ बनाने की कोशिशों में जुट चुकी है। पुणे की भीमा और कौरे गाँव की घटना के बाद बीजेपी का ध्यान कांग्रेस के सबसे बड़े वोट बैंक दलित नेता और आजादी की लड़ाई लड़ने वाले बाबू जगजीवन राम की विरासत पर दावा जताने की तैयारी कर ली है।
बता दें जल्दी ही मोदी सरकार बाबू जगजीवन राम पर फ़िल्म बनाएँगी। सरकार इसके लिए अभी 2 करोड़ के बजट का प्रावधान रखा हैं। ये फ़िल्म बाबू जगजीवन राम की जीवनी पर बनाई जायेगी। इतना ही नहीं मोदी सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय हर साल बाबू जगजीवन राम की याद में लेक्चर का भी आयोजन भी करेगा।
बीजेपी और मोदी सरकार को तीन साल में विपक्ष ने अगर सबसे ज़्यादा किसी मुद्दे पर सरकार को परेशान किया हैं तो वो हैं दलित उत्पीड़न का मुद्दा। इसलिए अब अम्बेडकर के बाद मोदी सरकार की निगाहे बाबू जगजीवन राम पर जा अटकी हैं।
बीजेपी बाबू जगजीवन राम विरासत पर तब क़ब्ज़ा ज़माने की कोशिश कर रही हैं जब उनकी बेटी मीरा कुमार वर्तमान में कोंग्रेस का एक बड़ा दलित चेहरा है। हाल ही में मीरा कुमार ने पिछले राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था।
दूसरी तरफ़ केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत ने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को बाबा साहब अंबेडकर के जीवन से जुड़े स्थानों को पंचतीर्थ के तौर पर विकसित करने के केंद्र सरकार के काम को और उनकी जीवनी को सीबीएसई के पाठ्यक्रम में शामिल कर पढाने के लिए पत्र लिखा हैं।
जिस तरह से बीजेपी ने रणनीति के तहत सरदार पटेल को अपना लिया। ठीक उसी रणनीति के तहत कोंग्रेस में गांधी परिवार के अलावा जिन नेताओ का आज कोंग्रेस में कोई नाम लेने वाला नहीं हैं उनकी विरासत पर अपना क़ब्ज़ा जमा कर 2019 में आने वाली अड़चनो को दूर करने की कोशिश कर रही हैं।