मोदी सरकार के रविवार सुबह होने विस्तार को लेकर भाजपा नेतृत्व ने शनिवार को भावी मंत्रियों के साथ सहयोगी दलों से शामिल किए जाने नेताओं को लेकर लंबी कवायद की। नए रक्षा मंत्री को लेकर अभी भी पेच फंसा हुआ है। वृंदावन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक से दोपहर में दिल्ली पहुंचे पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने महासचिव संगठन रामलाल के साथ हटाए और शामिल किए जाने वाले नामों पर चर्चा की। शाह के देर शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद स्थिति स्पष्ट होगी।
सरकार में जिस तरह से आधा दर्जन मंत्रियों के इस्तीफे हुए हैं और सहयोगी दलों के साथ भी चर्चा हुई है, उसे देखते हुए यह मोदी सरकार का सबसे बड़ा फेरबदल हो सकता है। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने विभिन्न मंत्रियों के कामकाज व भावी विस्तार में शामिल किए जाने वाले मंत्रियों को लेकर वरिष्ठ मंत्रियों राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली व नितिन गडकरी से भी चर्चा की है। इन चारों नेताओं ने शुक्रवार देर रात लगभग घंटे भर राज्यवार सामाजिक समीकरणों को लेकर मंत्रिपरिषद विस्तार को लेकर भावी मंत्रियों को लेकर आपस में चर्चा की थी।
नए रक्षा मंत्री को लेकर सबसे ज्यादा माथापच्ची, रक्षा मंत्री के लिए शीर्ष नेताओं के नाम पर भी चर्चा
सूत्रों के अनुसार रक्षा मंत्री पद के लिए सबसे ज्यादा असमंजस की स्थिति है। इसके लिए ओम प्रकाश माथुर, सुरेश प्रभु, नरेंद्र सिंह तोमर व पीयूष गोयल के नामों की चर्चा है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, चार बड़े मंत्रियों में भी इसके लिए विचार किया गया है। इस बीच सुषमा स्वराज के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मुलाकात से भी इन चर्चाओं को बल मिला है कि सरकार में उच्च स्तर पर बड़े बदलाव हो सकते हैं।
जदयू नाराज, शिवसेना को नहीं मिली सूचना
सहयोगी दलों में शिवसेना को अभी तक कोई सूचना नहीं दी गई है, जबकि जद यू ने कहा है कि उसकी तरफ से सरकार में कोई शामिल नहीं हो रहा है। सूत्रों के अनुसार जद यू अपने हिस्से में आने वाले मंत्रालयों से खुश नहीं है। वह जनता से सीधा जुड़ा रेल जैसा मंत्रालय चाहता है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि हमारी तुलना रामविलास पासवान की लोजपा से नहीं की जा सकती है। हमारे पास एक बड़े राज्य की सरकार है। अन्नाद्रमुक अभी तक एनडीए में आने का फैसला नहीं कर सकी है।
शाह से मिले प्रवेश वर्मा
इस बीच दोपहर में शाह से मिलने वालों में दिल्ली के सांसद प्रवेश वर्मा प्रमुख रहे। बाद में शाह के आफिस ने बताया कि शाम पांच बजे के बाद ही बाकी मुलाकातें होगी, लेकिन देर शाम तक कोई नेता मिलने नहीं पहुंचा। इसे लेकर इस बात के भी कयास रहे कि कुछ नामों में बदलाव हो सकता है।